नई दिल्ली. टीवी शो ‘सीआईडी’ एक बार फिर टीवी और ओटीटी पर लौट आया है. इसके साथ ही, शिवाजी साथम का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी करने लगा है. बता दें, इस शो में शिवाजी ‘एसीपी प्रद्युमन’ की भूमिका निभाते आए हैं. उनके साथ-साथ दयानंद शेट्टी की भी चर्चा शुरू हो गई है. इस शो में वह ‘इंस्पेक्टर दया’ के किरदार में नजर आते रहे हैं.
आज हम आपको ‘सीआईडी’ के उस 61वें एपिसोड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी कहानी सस्पेंस से भरपूर थी और क्लाइमैक्स ने तो सबका दिमाग ही हिला दिया था. यह एपिसोड साल 2013 में टेलिकास्ट हुआ था. इस एपिसोड को आप फ्री में यूट्यूब पर देख सकते हैं. इस एपिसोड का नाम था ‘द केस ऑफ रैनी नाइट’.
दरअसल, कहानी की शुरुआत एक रात से होती है जहां एक शख्स सड़क पर लेटा पड़ा है और दूसरा उसे उठा रहा है और काफी तेज बारिश हो रही है. इसी बीच वहां एक वॉचमैन में आता है और उनसे पूछता है कि क्या हुआ. उस पर दूसरा इंसान कहता है कि उसके दोस्त ने ज्यादा नशा कर लिया है, जिसकी वजह से वह गिरा पड़ा है.
फिर एक टैक्सी आती है और वह शख्स अपने बेहोश साथी को उस टैक्सी पर लेकर बैठ जाता है, लेकिन रास्ते के बीच में ही वह कहीं चला जाता है और टैक्सी ड्राइवर बेहोश इंसान को उठाने की कोशिश करता है, तो पता चलता है कि वह मर चुका है. फिर एंट्री होती है ‘सीआईडी’ टीम की.
शुरुआती खोजबीन से पता चलता है कि मरे हुए शख्स का नाम किशोर मदान है और वह एक फोटोग्राफर था, जिसकी खुद का एक स्टूडियो भी था. ‘सीआईडी’ किशोर के घर तक पहुंच जाती है, उसकी मां को सारी बातें बताती है. दूसरे दिन ‘सीआईडी’ की टीम उसके स्टूडियो पहुंचती है, जहां एक शख्स उन्हें शॉप पर दिखता है, जो बताता है कि वह इस शॉप में पिछले 3 सालों से काम कर रहा है.
वह बताता है कि वह इस बात से बिलकुल अनजान है कि उसके मालिक की हत्या हो गई है. फिर ‘सीआईडी’ की टीम को बता चलता है कि स्टूडियो खोलने से पहले किशोर ‘सुबह’ नाम के एक अखबार के लिए काम करता था. एसीपी प्रद्युमन अपनी टीम के साथ उस अखबार के ऑफिस में पहुंचते हैं, जहां पता चलता है कि किशोर ने बिना कुछ बताए ही वहां से नौकरी छोड़ दी थी.
अखबार का एडिटर बताता है कि शहर में एक बार जब दंगा भड़का था तो एडिटर ने किशोर को वहां की कुछ तस्वीरें लाने को भेजा था और फिर वह वापस लौटकर कभी ऑफिस ही नहीं आया. फिर एसीपी प्रद्युमन का दिमाग चलता है, क्योंकि जांच के दौरान पता चला था कि अखबार की नौकरी छोड़ने के बाद उसके अलग-अलग बैंक के खातों 40 से 50 हजार रुपये आए थे.
जबकि, उसकी सैलरी अखबार से सिर्फ 3500 रुपये ही मिलती थी और वह सभी से उधार लेता रहता था. एसीपी प्रद्युमन आखिरकार अपनी टीम के साथ इस हत्या के पीछे की वजह खोज लेते हैं और फिर आरोपी को सीआईडी द्वारा पकड़ लिया जाता है. वैसे इस एपिसोड का क्लाइमैक्स काफी दमदार है. हम आपको इसलिए पूरी कहानी नहीं बता रहे हैं, क्योंकि इससे सारा सस्पेंस खुल जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 14:19 IST