Kharpatwar Kaise Khatm Kare: फसलों को उगाते समय सबसे बड़ी समस्या किसानों के सामने खरपतवार की आती है. इसको अगर न निकाला जाए तो फसलों की वृद्धि बहुत ही धीमी होती है. फसलों को काफी नुकसान भी होता है. लेकिन किसान अगर फसलों की बुवाई के तुरंत बाद धान की पराली का आच्छादन कर दिया जाए तो खरपतवार नहीं निकलते. पराली सड़ कर खाद भी बन जाती है जिससे फसलों को काफी फायदा पहुंचता है.
खेत में आच्छादन करने के फायदे
खेत में आच्छादन या मल्चिंग पद्धति का मतलब है खेत की ऊपरी सतह को किसी दूसरी फसल या फसलों के अवशेषों से ढकना. इससे कई फायदे होते हैं. इससे खेत में नमी बनी रहती है और सिंचाई के अंतराल को बढ़ाया जा सकता है. घास नहीं उगती और खरपतवार नियंत्रित रहते हैं.
साथ ही मिट्टी मुलायम रहती है और जड़ों का विकास अच्छा होता है. फसल उगाने में लागत कम आती है. फसल की पैदावार ज्यादा होती है. ह्यूमस बढ़ता है और भूमि की ऊपरी सतह का संरक्षण होता है. इससे भूमि में जल संग्रहण क्षमता बढ़ने के साथ सूक्ष्म जीवाणुओं और पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है.
आच्छादन के प्रकार
स्ट्रा आच्छादन में धान या गेहूं के पराली का इस्तेमाल किया जाता है. लाइव आच्छादन में अलग-अलग तरह के पौधे एक साथ लगाए जाते हैं. बहराइच जिले के ग्राम कौवा कुरी में रहने वाले किसान जगन्नाथ मौर्य पिछले कई सालों से आच्छादन पद्धति अपना कर फसलों की अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं. इसके साथ ही किसान जगन्नाथ मौर्य ने बताया कि आच्छादन खेती करने से खेत में नमी भी बनी रहती है. इससे बार-बार पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है और फसलों में वृद्धि में तीव्र गति से होती है.
FIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 11:04 IST