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लखनऊ के आशियाना में रील बनाने के शौक ने गुरुवार देर शाम कक्षा आठ के छात्र शिवांश (19) की जान ले ली। वह अपने दोस्त के साथ रतनखंड स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गया और उसमें उतरते हुए रील बनवाने लगा। दोस्त मोबाइल से उसकी रिकार्डिंग कर रहा था। इस दौरान ही वह टंकी के अंदर गिर गया और पानी में डूब गया।
दमकलकर्मियों ने टंकी के अंदर से उसे निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मौत की बात पता चलते ही दोस्त वहां से भाग गया। इस हादसे की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया।
घूमने की बात कह कर घर से निकला था
रजनीखंड 2/31 निवासी शिवांश के पिता राकेश अग्रवाल सिक्योरिटी गार्ड हैं। राकेश ने पुलिस को बताया कि गुरुवार शाम 4.30 बजे शिवांश घर से निकला था। उसने कहा था कि वह दोस्त प्रभात के साथ घूमने जा रहा है। राकेश के मुताबिक पत्नी अनुपम को गंभीर बीमारी है। इस वजह से वह घर पर ही थे। शाम करीब सात बजे उन्हें आशियाना पुलिस ने फोन किया और कहा कि वह रतनखंड पानी टंकी के पास पहुंचें। बेटा घायल हो गया है। वहां परिचितों के साथ पहुंचने पर पुलिस ने बताया कि शिवांश टंकी में डूब गया है। यह बात सुनते ही वह बदहवास हो गये। बेटे के साथ उसका दोस्त प्रभात भी था। राकेश के मुताबिक बेटा रजनीखंड से रतनखंड कैसे पहुंचा। इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है।
हाइड्रोलिक प्लेटफार्म से निकाला गया छात्र का शव
फायर ब्रिगेड के जवान टंकी पर ठीक से ऊपर तक नहीं चढ़ पा रहे थे। यह भी लगा कि अगर शिवांश को बाहर निकाल लिया तो उसे लेकर नीचे कैसे उतर पायेंगे। इस पर हजरतगंज से हाईड्रोलिक प्लेटफार्म मंगवाया गया।
शौक ने ले ली जान
शिवांश की मौत ने आस पास के लोगों को हैरत में डाल दिया। हर कोई कह रहा था कि रील बनाने के शौक ने शिवांश की जान ले ली। वह बिना कुछ समझे करीब 70-80 फिट ऊंची इस टंकी पर चढ़ गया। बिना किसी सुरक्षा कवच के शिवांश रील बनाने लगा था। दोस्त प्रभाष उसकी रिकार्डिंग करने में लग गया। टंकी के अंदर नीचे उतरने का दृश्य करते समय वह अंदर गिर गया था। कुछ देर बाद ही वह उसमें डूब गया।
टंकी में डूबने से छात्र की मौत की खबर आस पास फैल गई। कुछ देर में ही वहां भीड़ लग गई। हर कोई यही कह रहा था कि दोनों लोग इतने ऊपर कैसे चढ़ गये। उन्हें डर नहीं लगा इतनी ऊंचाई तक रील बनाने में। दोस्त प्रभाष ने भी नहीं सोचा होगा कि रील बनाना इतना जोखिम भरा हो जायेगा कि उसके दोस्त की जान चली जायेगी। वह डर कर मौके से भाग निकला था।
कर्मचारियों को भनक न लगी
सवाल यह है कि इतनी ऊंची टंकी पर दोनों चढ़ गये और किसी को भनक तक नहीं लगी। यहां मौजूद कर्मचारी भी नहीं जान पाये। स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि सीढ़ियां बंद रहती हैं, ऐसे में दोनों छात्र किस तरह ऊपर चढ़े। टंकी का जिम्मा जलकल विभाग के कर्मचारियों पर है। अंदेशा है कि सीढ़ियों की तरफ जाने वाला रास्ते पर ताला नहीं था जिसके चलते शिवांश और प्रभात ऊपर तक जा पहुंचे।
पत्नी को कैसे बताऊंगा कि शिवांश नहीं रहा
राकेश के मुताबिक पत्नी अनुपम गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं। वह खुद एक सिक्योरिटी एजेंसी में काम करते थे। लेकिन पत्नी की तीमारदारी में अधिक वक्त गुजरने के कारण कुछ दिन पहले नौकरी छूट गई थी। यह बात कहते हुए राकेश का गला भर गया। उन्होंने बताया कि शिवांश एकलौता था। मां अनुपम का लाडला। अब मैं पत्नी से क्या कहुंगा। उन्होंने बताया कि शिवांश ने इस बार कक्षा आठ की परीक्षा दी है। उसे रील बनाने का शौक है। यह बात घर वालों को भी पता थी।