UNICEF Report: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक रिपोर्ट सामने आई है। यूनिसेफ की इस रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें कही गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल खराब मौसम (हीटवेव, बाढ़, चक्रवातों, अत्यधिक बरिश) के कारण 85 देशों में लगभग 242 मिलियन यानी 24 करोड़ 20 लाख बच्चों की स्कूली शिक्षा बाधित हुई है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा कि बच्चे मौसम को लेकर अधिक संवेदनशील होते हैं और उनपर इसका प्रभाव भी पड़ता है।
मौसम में बदलाव से प्रभावित होते हैं बच्चे
कैथरीन रसेल ने कहा कि बड़ों की तुलना में बच्चे मौसम के बदलाव के कारण तेजी से प्रभावित होते हैं। भीषण गर्मी के कारण बच्चे क्लास में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। रास्ते में पानी भर गया हो या स्कूल बह गया हो तो वो स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा उन सेवाओं में से एक है जो जलवायु संबंधी खतरों के कारण सबसे अधिक बार बाधित होती है। रसेल ने कहा कि इतना सबकुछ होते हुए भी नीतिगत चर्चाओं में इस समस्या को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इस तरह के हैं हालात
तमाम रिपोर्टों से पता चलता है कि हीटवेव, चक्रवातों, बाढ़ और अन्य मौसमी गतिविधियों के कारण कक्षाएं स्थगित करनी पड़ी हैं, छुट्टियां बढ़ानी पड़ी हैं, स्कूल खोलने में देरी हुई है यहां तक कि स्कूल क्षतिग्रस्त या नष्ट भी हुए हैं। कम से कम 171 मिलियन बच्चे हीटवेव से प्रभावित हुए हैं। बांग्लादेश, कंबोडिया, भारत, थाईलैंड और फिलीपींस में तापमान बहुत बढ़ने के कारण अप्रैल में 118 मिलियन बच्चे हीटवेव से प्रभावित हुए हैं। फिलीपींस में गर्मी के दौरान हजारों स्कूल बंद कर दिए गए थे, क्योंकि इन स्कूलों में AC नहीं थे। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में विनाशकारी तूफान यागी के कारण 18 देशों में कक्षाएं रद्द कर दी गईं।
ये है दक्षिण एशिया की स्थिति
दक्षिण एशिया जलवायु के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था, जहां 128 मिलियन स्कूली बच्चे प्रभावित हुए। भारत में हीटवेव के कारण सबसे अधिक 54 मिलियन बच्चे प्रभावित हुए। जबकि, बांग्लादेश में 35 मिलियन बच्चे हीटवेट से प्रभावित हुए। तापमान में वृद्धि के कारण आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। विश्व के आधे बच्चे (लगभग एक अरब) ऐसे देशों में रह रहे हैं, जहां जलवायु परिवर्तन का खतरा अधिक है।
2050 में कैसा होगा हाल?
यूनिसेफ के अनुमान के अनुसार अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसी प्रकार जारी रहा, तो 2050 में आज के समय से आठ गुना अधिक बच्चे हीटवेव का सामना करेंगे। तीन गुना से अधिक लोग भीषण बाढ़ और 1.7 गुना अधिक लोग जंगली आग की चपेट में आएंगे। यूनिसेफ ने ऐसी कक्षाओं में निवेश का आह्वान किया है जो जलवायु संबंधी खतरों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हों।
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