आगामी आम बजट को लेकर भारत के रियल एस्टेट उद्योग को वित्त मंत्री से काफी उम्मीदें हैं। उद्योग को वित्तपोषण, टैक्सेशन और बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए नीतिगत उपायों की उम्मीद है जिससे मध्य वर्गीय घर खरीदारों को भी काफी फायदा मिल सकता है। उद्योग जगत को लगता है कि अगर सरकार बजट में कुछ खास उपाय करे तो घर खरीदार के साथ-साथ उद्योग का भी भला हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को बजट 2025 पेश करेंगी। आइए यहां जान लेते हैं कि सरकार की तरफ से किन उपायों पर विचार किया जाना चाहिए।
इन 10 कदमों से मिलेगी बड़ी राहत
- सरकार को बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-यू) जैसी पहलों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अफोर्डेबल आवास के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाना और लोन-लिंक्ड सब्सिडी का विस्तार करना जरूरी है।
- लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, उद्योग जगत का कहना है कि वर्तमान जीएसटी व्यवस्था अस्पष्ट है और डेवलपर्स के लिए एक बड़ी चुनौती है। जटिलताओं को कम करने और डेवलपर्स पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए जीएसटी दरों को सरल और सुव्यवस्थित करना जरूरी है।
- रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) ने इस क्षेत्र में पारदर्शिता और लिक्विडिटी लाई है। लाभांश वितरण कर (डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स) को कम करना और खुदरा निवेशकों के लिए और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करना उनके अपनाने को बढ़ा सकता है।
- कुछ राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी की दरें, मौजूदा समय में 8-9 प्रतिशत अधिक हैं, जो अधिक हैं। भारत में घर खरीदने वालों के लिए यह एक बड़ा वित्तीय बोझ हैं। ₹1.50 करोड़ तक के घरों के लिए इन दरों को सभी राज्यों में तर्कसंगत बनाना संपत्ति के स्वामित्व को और अधिक किफायती बनाने और घरों की डिमांड को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
- किराए के आवास शहरी आवास की कमी को दूर करने और कार्यबल की गतिशीलता का सपोर्ट करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। सरकार को किफायती किराये के आवास कैम्पस के विकास के लिए प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन शुरू करना चाहिए।
- उद्योग की मांग है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया जाए, ताकि उधार लेने की लागत कम होने और संस्थागत लोन तक बेहतर पहुंच हो सके। इससे डेवलपर्स की समय पर क्वालिटी प्रोजेक्ट्, देने की क्षमता मजबूत होगी। इससे कम ब्याज दरों पर संस्थागत फंडिंग तक आसान पहुंच भी संभव होगी।
- रियल एस्टेट स्टेकहोल्डर्स ने सरकार से आयकर अधिनियम की धारा 80सी और 24(बी) के तहत टैक्स कटौती की सीमा पर फिर से विचार करने आग्रह किया है। होम लोन के मूलधन के रीपेमेंट और होम लोन पर ब्याज के लिए कटौती की सीमा में बढ़ोतरी से आवास की सामर्थ्य में सुधार होगा और घर के ओनरशिप को बढ़ावा मिलेगा।
- रियल एस्टेट क्षेत्र हमेशा से भारत की जीडीपी वृद्धि को आगे बढ़ाने और रोजगार पैदा करने में महत्वपूर्ण रहा है। ऐसे में बजट में भारतीय रियल एस्टेट में एनआरआई की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए संपत्ति लेनदेन पर टैक्स बोझ कम करना और आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों में निवेश की सुविधा बढ़ाना जैसे विशिष्ट उपाय काफी मददगार हो सकते हैं।
- आसान और समयबद्ध मंजूरी प्रणाली से कारोबार करने में आसानी होगी, जिससे डेवलपर्स समय पर प्रोजेक्ट पूरा कर सकेंगे और लागत कम होगी। अनुमोदन के लिए एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली, अनुपालन बोझ में कमी और घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित करने पर जोर रहने की उम्मीद है।
- रियल एस्टेट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने वाली नीतियां इस क्षेत्र को और मजबूत बना सकती हैं। नियामक ढांचे को सरल बनाने और वैश्विक निवेशकों के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करने से भारत को आगे अंतरराष्ट्रीय पूंजी के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।