Last Updated:
Guptkashi in Sonbhdra : इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में खरवार वंश के राजा मोलागत ने कराया था. यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाना फलदायी माना जाता है. दूर-दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.
इस मंदिर का है कई शताब्दी पुराना इतिहास
सोनभद्र. हमारे देश में कई प्राचीन और अति प्राचीन मंदिरों का जिक्र इतिहास में दर्ज है. इनकी अपनी गाथा और अपना अलग इतिहास है. इसी क्रम में एक प्राचीन मंदिर यूपी के सोनभद्र जनपद में है, जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी में कराया गया था. इसे बनवाने वाले में खरवार वंश के राजा मोलागत का नाम आता है. मंदिर से जुड़े जानकार बताते हैं कि यहां मौजूद लेख पत्रों की मानें तो बाबा सोमनाथ मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था. उस समय अघोरी किले पर खरवार राजवंश का आधिपत्य था. राजा मोलागत ने मंदिर का निर्माण कराया था. इस स्थान से भी वीर लोरिक का भी जुड़ाव रहा है.
यहां मौजूद शिवलिंग पर जल चढ़ाना काफी फलदायी माना जाता है. स्थानीय जानकार ज्ञानेंद्र पाठक ने बताया कि इस स्थान पर सैकड़ों मूर्तियों को खुदाई में निकाला गया है, जिसमें 12 वीं सदी तक की कला और संस्कृति की बात सामने आती हैं. हजारों मूर्तियां यहां खंडित अवस्था में भी पड़ी हुई हैं. जानकारों का कहना है कि औरंगजेब ने उस वक्त इन मूर्तियों को खंडित कराया था. यहां पर पूरे साल लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण मास में भक्तों का सैलाब रहता है.
जिस प्रकार मां गंगा के किनारे बाबा विश्वनाथ का निवास है, ठीक उसी प्रकार सोन तट पर बाबा सोमनाथ विराजते हैं. बाबा सोमनाथ की महिमा अपार है. गुप्तकाशी कहे जाने वाले इस पवित्र धाम पर श्रद्धालुओं का आना धार्मिक पर्यटन का चरम है. मंदिर परिसर तक पहुंचने के लिए आपको वाराणसी – शक्तिनगर राजमार्ग से होते हुए चोपन से 6 किलोमीटर दूर गोठानी सिंदुरिया मार्ग से जाना पड़ेगा. जहां पर जाने के लिए सड़क मार्ग ही एकमात्र माध्यम है. आप निजी साधन या अन्य माध्यमों से मंदिर स्थल तक पहुंच सकते हैं. मंदिर पर रात्रि ठहरने के लिए कोई खास इंतजाम तो नहीं है लेकिन 6 किलोमीटर दूर चोपन में आपको सारी आवश्यक सुविधा होटल, लॉज इत्यादि मिल जाएंगे. भोजन की भी शुद्ध शाकाहारी व्यवस्था आपको अच्छी कीमतों में मिल जाएगी.