स्पेस मिशन में सफलता के बाद यूरी गागरिन रातोंरात स्टार बन गए थे।
यूरी अलेक्सेयेविच गागरिन (Yuri Alekseyevich Gagarin) अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक किंवदंती के रूप में जाने जाते हैं। वे पहले इंसान थे जिन्होंने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया और अंतरिक्ष की असीम संभावनाओं को मानवता के सामने प्रस्तुत किया। उनका जन्म 9 मार्च 1934 को रूस के स्मोलेंस्क क्षेत्र के क्लुशिनो गांव में हुआ था। गागरिन के जीवन का अंत बेहद ही दर्दनाक रहा जब उन्होंने 27 मार्च 1968 को हुई एक प्लेन क्रैश में अपनी जान गंवा दी। गागरिन का जीवन और उनकी उपलब्धियां न केवल तत्कालीन सोवियत संघ या रूस के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक हैं।
किसान परिवार में हुआ था गागरिन का जन्म
यूरी गागरिन का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता अलेक्सेई इवानोविच एक बढ़ई थे, और मां अन्ना तिमोफेयेवना एक डेयरी फार्मर थीं। अपने माता-पिता की 4 संतानों में से एक यूरी गागरिन का बचपन गरीबी और कठिनाइयों से भरा था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी सेना ने उनके गांव पर कब्जा कर लिया था और इस दौरान उनकी कठिनाइयों में और इजाफा ही हुआ। माना जाता है कि इस कठिन समय ने उनके अंदर दृढ़ संकल्प और साहस की भावना को मजबूत किया।
युद्ध के बाद यूरी गागरिन ने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की। वे तकनीकी शिक्षा की ओर आकर्षित हुए और 1951 में सारातोव के इंडस्ट्रियल टेक्निकल स्कूल में दाखिला ले लिया। यहीं पर उन्होंने फ्लाइट ट्रेनिंग शुरू की, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। 1955 में उन्होंने सोवियत वायु सेना में शामिल होने के लिए ओरेनबर्ग में मिलिटरी फ्लाइट ट्रेनिंग स्कूल में प्रवेश लिया और एक कुशल पायलट बन गए। यूरी गागरिन ट्रेनिंग के दौरान ही वेलेंटिना के संपर्क में आए और कुछ ही दिनों बाद उन्होंने शादी कर ली।
अपनी पत्नी वेलेंटिना के साथ यूरी गागरिन।
और यूं अंतरिक्ष यात्री बन गए यूरी गागरिन
1950 और 1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अंतरिक्ष की दौड़ अपने चरम पर थी। सोवियत संघ ने पहला मानव अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई, और इसके लिए गागरिन सहित 20 संभावित अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया। गागरिन की शारीरिक फिटनेस, छोटी कद-काठी (5 फीट 2 इंच), और मानसिक दृढ़ता ने उन्हें इस मिशन के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाया। उनकी सकारात्मक सोच और किसी भी परिस्थिति में मुस्कुराने की आदत ने भी चयनकर्ताओं को प्रभावित किया।
लंबे प्रशिक्षण के बाद, 12 अप्रैल 1961 को गागरिन को वोस्तोक-1 अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष के लिए चुना गया। यह मिशन ऐतिहासिक था, क्योंकि इससे पहले कोई भी मानव अंतरिक्ष में नहीं गया था।
‘पृथ्वी नीली है, यह कितनी सुंदर है!’
12 अप्रैल 1961 को सुबह 9:07 बजे (मॉस्को के समयानुसार) गागरिन ने बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से उड़ान भरी। इस मौके पर उन्होंने ‘पोयेखाली!’ (चलें!) कहा और उनके इस अंदाज को आज भी याद किया जाता है। वोस्तोक-1 ने पृथ्वी की एक परिक्रमा की, जो 108 मिनट तक चली। इस दौरान गागरिन ने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा और कहा, ‘पृथ्वी नीली है, यह कितनी सुंदर है!’ यह मिशन तकनीकी रूप से जोखिम भरा था, लेकिन गागरिन की हिम्मत और सोवियत वैज्ञानिकों की मेहनत ने इसे सफल बनाया। मिशन को अंजाम देने के बाद वे सुरक्षित रूप से सारातोव क्षेत्र में पैराशूट से उतर आए।
दोबारा अंतरिक्ष में नहीं जा पाए गागरिन
इस उड़ान ने सोवियत संघ को अंतरिक्ष दौड़ में अमेरिका के ऊपर बड़ी बढ़त दिला दी और गागरिन को वैश्विक नायक बना दिया। उन्हें ‘सोवियत संघ का हीरो’ और ‘लेनिन ऑर्डर’ जैसे सम्मानों से नवाजा गया। स्पेस मिशन के बाद गागरिन रातोंरात विश्व प्रसिद्ध हो गए। वे कई देशों की यात्रा पर गए, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। भारत में भी वे 1961 में आए और लोगों से मिले। सोवियत सरकार ने उन्हें दोबारा अंतरिक्ष में नहीं भेजा, क्योंकि वे उनके जीवन को जोखिम में नहीं डालना चाहते थे। इसके बजाय, गागरिन ने अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग में योगदान दिया और एयरफोर्स में अपनी सर्विस जारी रखी।
…और एक हसीन कहानी का हो गया अंत
27 मार्च 1968 को गागरिन एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान मिग-15 विमान में अपने प्रशिक्षक व्लादिमीर सेर्योगिन के साथ थे। अज्ञात कारणों से उनका प्लेन क्रैश हो गया और दोनों की दुखद मौत हो गई। इस हादसे की जांच में कई सिद्धांत सामने आए, जैसे खराब मौसम या तकनीकी खराबी, लेकिन सटीक कारण आज तक स्पष्ट नहीं हो सका। जिन यूरी गागरिन को सोवित संघ की सरकार अंतरिक्ष मिशन पर इसलिए नहीं भेजना चाहती थी कि उनकी जान को खतरा न हो, उनकी मौत एक प्लेन क्रैश में हो गई। इस घटना ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था।
बहुत कुछ सिखाता है यूरी गागरिन का जीवन
यूरी गागरिन की उपलब्धि ने पूरी मानव जाति के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के दरवाजे खोल दिए। उनके नाम पर कई स्मारकों, सड़कों, और पुरस्कारों की घोषणा हुई। हर साल 12 अप्रैल को ‘यूरी नाइट’ के रूप में मनाया जाता है। वे साहस, जिज्ञासा और मानवता की संभावनाओं का प्रतीक बने हुए हैं। गागरिन का जीवन यह सिखाता है कि साधारण शुरुआत से भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। उनकी कहानी आज भी युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।