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Pilibhit News : अधिकांश लोग जानवरों खासकर बंदरों और कुत्तों और गाय को भोजन कराना बेहद ही पुण्य का काम मानते हैं. अपने घरों की छतों आदि पर तो ऐसा करना काफी हद तक ठीक है, लेकिन बंदरों के प्राकृतिक वास स्थलों (जंग…और पढ़ें
पीलीभीत : लगभग सभी धर्मों में भोजन कराना बड़े ही पुण्य का काम माना जाता है. वहीं बात अगर बेजुबान जानवरों के भोजन की हो तो यह पुण्य और बढ़ जाता हैं. लेकिन कई बार पुण्य कमाने के चक्कर में किया गया ये काम बेजुबान जानवरों और लोगों के लिए ही आफत का सबब बन जाता है. अगर पीलीभीत की बात करें तो यहां लोग जंगली रास्तों पर बंदरों के लिए भोजन रख देते हैं जो जंगली जानवरों और राहगीरों के सड़क हादसे की बड़ी वजह बन जाता है. वहीं इससे जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है.
भारतीय सभ्यता में प्रकृति व उससे जुड़े तत्वों को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है. पेड़ हो या फिर पशु-पक्षी, सब का अपना धार्मिक व आध्यातमिक महत्व है. हनुमान जी को चिरंजीवी माना जाता है, यही कारण है कि पशुओं में वानर को हनुमान जी के रूप में पूजा जाता है. जिस वजह से हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार हनुमान जी के स्वरूप वानरों का पूजन व सेवा करता है. अधिकांश लोग वानरों को भोजन कराना बेहद ही पुण्य का काम मानते हैं. अपने घरों की छतों आदि पर तो ऐसा करना काफी हद तक ठीक है, लेकिन बंदरों के प्राकृतिक वास स्थलों (जंगलों) में जा कर उन्हें भोजन देना उनके लिए ही जानलेवा साबित हो जाता है.
जंगली जानवरों के लिए भी है घातक
अगर पीलीभीत की बात करें तो यहां के जंगली रास्तों पर लोग बंदरों के लिए भोजन रख देते हैं. वहीं मंगलवार और शनिवार को तो शहर के कई लोग समय निकाल कर इस कार्य के लिए जंगल रास्तों पर जाते हैं. लेकिन ऐसा करना बंदरों समेत मासूम जंगली जानवरों व दोपहिया वाहनों से गुजर रहे राहगीरों के लिए हादसे का सबब तो बन ही रहा है. वहीं इससे जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र पर बेहद ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जो कि बेहद भयावह साबित हो सकता है.
बढ़ रहा सड़क हादसों का खतरा
लोकल 18 से बातचीत के दौरान पीलीभीत के वरिष्ठ वनजीवन पत्रकार एवं वन्यजीव विषेशज्ञ केशव अग्रवाल बताते हैं कि जंगल में से गुजरने के दौरान या फिर जंगल में जा कर वानरों को भोजन कराना पीलीभीत समेत तमाम इलाकों में पुरानी परंपरा हैं. धार्मिक लिहाज से तो भले ही यह पुण्य का काम है लेकिन जब इसका असर बेजुबानों पर ही पड़े तो यह निश्चित तौर पर प्रकृति से खिलवाड़ है. बंदरों के लिए जंगल में भोजन रखने के कई दुष्प्रभाव हैं जिसमें सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष प्रमाण है सड़क हादसे. आमतौर पर जंगल मार्गों के किनारे बंदरों का झुंड नजर आता है जो कि आसानी से उपलब्ध भोजन की आस में इकठ्ठे होते हैं. कई बार ये बेजुबान तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आ जाते हैं. तो वहीं कई बार हाथ में भोजन देख वे राहगीरों पर झपटते हैं जिससे राहगीर भी हादसों का शिकार होते हैं.
सड़क के किनारे तेंदुए लगा रहे घात
वहीं इससे बंदरों समेत कई अन्य जंगली जानवरों के व्यवहार पर भी प्रभाव पड़ता है. एक उदाहरण पर गौर करें तो बंदर प्रमुख रूप से तेंदुए का शिकार होता है, चूंकि बंदर भोजन की तलाश में सड़कों के किनारे झुंड बनाकर देखे जाते हैं ऐसे में उनकी फिराक में तेंदुए भी कई बार सड़क के नज़दीक आ जाते हैं. जिस वजह से तेंदुए पर सड़क हादसे व मानव वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है. वन विभाग की ओर से इसको लेकर समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं. लेकिन यह एक ऐसा विषय है जो लोगों की जागरुकता से ही पूर्ण रूप से हल हो सकता है.
नियम के अनुसार होगी कार्रवाई
पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि जंगली रास्तों पर रुकना व वहां भोजन डालना या फिर अन्य ढंग से गंदगी करना कानूनन अपराध है. इसको लेकर विभाग की ओर से कदम भी उठाए जाते हैं वहीं लोगों से भी अपील की जाती है. जंगली जानवरों को भोजन न कराने को जागरुक करने हेतु जल्द ही कुछ साइन बोर्ड लगवाए जाएंगे. वहीं ऐसा करते पाए जाने पर उक्त व्यक्ति पर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी.
Pilibhit,Uttar Pradesh
January 21, 2025, 20:52 IST