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Mangal Pandey Soldier Story: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उठाने वाले मंगल पांडे किसी से नहीं डरते थे. अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी.
वीर शहीद मंगल पांडेय
Mangal Pandey Soldier Story: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जन्मे मंगल पांडेय ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले 1857 में बिगुल फूंक दी. भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडेय ने अहम भूमिका निभाई थी. 1857 की यह क्रांति एक बंदूक की गोली से शुरू हुई तेज रफ्तार पकड़ ली. इसमें मंगल पांडे को फांसी तो दे दी गई लेकिन यह लड़ाई आजादी तक जारी रही.
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया, ‘मंगल पांडेय ने सभी को एहसास दिलाया कि अगर हम चाहें तो कुछ भी कर सकते है. मंगल पांडेय ने आजादी की लड़ाई को रफ्तार दी. 19 जुलाई 1827 को मंगल पांडेय का जन्म बलिया जिले के नगवा गांव के ब्राह्मण परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम दिवाकर पांडेय था.’
22 की उम्र में मिला पद
महज 22 साल की उम्र में मंगल पांडेय का ईस्ट इंडिया कंपनी में सेना का पद मिल गया. अंत ने ही किया आरंभ. मंगल पांडेय के जीवन का अंत ही स्वाधीनता संग्राम का शुरुआत कर दिया. सन 1857 की क्रांति में ही ये प्रख्यात हुए. एक बंदूक की गोली का विद्रोह इतना बड़ा बनेगा और आजादी तक चलेगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था.
मांस से तैयार कारतूस से शुरू विद्रोह
अंग्रेजी शासन की एक ऐसी बंदूक थी जिसमें कारतूस को दांत से खोलकर गोली भरा जाता था. कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह बात भी चर्चा में थी. इसी काम को करने से मंगल पांडेय ने मना कर दिया.
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वीरता की फांसी से हिल गए अंग्रेज
फिर क्या मंगल पांडेय का यह काम अंग्रेजों को नागवार लग गया. अंग्रेजों ने मंगल पांडेय को सजा में फांसी देने का निश्चय किया. अंग्रेजों को लगा कि इन्हें फांसी दे दी जाएगी तो हालत बिगड़ जाएगी लेकिन इसके विपरीत हुआ. मंगल पांडेय को 08 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई. इसके बाद तो मंगल पांडेय के साथियों ने उनके कहने अनुसार इस क्रांति को एक अलग धारा दे दिया और आजादी तक यह लड़ाई जारी रही.
Ballia,Uttar Pradesh
January 20, 2025, 11:20 IST