Last Updated:
Bhagalpur News : भागलपुर का रहने वाले अंकित वेट लिफ्टिंग में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. अंकित खुद 58 किलो के होकर के 220 किलो का वजन उठा लेते हैं.
खिलाड़ी
भागलपुर. एक कहावत बड़ी अच्छी कही है किसी ने पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो हो जाओगे खराब. लेकिन जब से बिहार सरकार ने मेडल लाओ नौकरी पाओ की घोषणा की तब से युवाओं में खेल के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ही भागलपुर के कहलगांव के रहने वाले अंकित कुमार पर ये लाइन सटीक बैठती है. दरअसल, अंकित वेट लिफ्टिंग खेल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां तक कि खेलने के लिए पढ़ाई तक को छोड़ दी. नेशनल लेवल तक गया और मेडल भी हासिल किया. लेकिन ओलंपिक में न जाने का कारण पैसा बन गया जाने के पैसा बाधा बनकर रह गया.
पढ़ाई को छोड़ खेल को चुना
जब लोकल 18 की अंकित से मिलने पहुंची तो अंकित जिम में प्रैक्टिस कर रहा था. अंकित से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मैं इंटर तक करके छोड़ दिया. मां जो पैसा पढ़ाई के लिए देती मैं उससे जिम करने लगा. अंकित के पिता मजदूर हैं. इसी से पूरे घर का भरण पोषण होता है. ऐसे में कोरोना किसी को अवसर दे गया तो किसी का सब कुछ छीन कर चला गया.
ऐसे ही कहानी है अंकित की जिन्होंने कोरोना में ही इस खेल को प्रारंभ किया और अभी वो महज 58 किलो का होकर 220 किलो वजन उठा लेता है. हाल ही में नेशनल में अंकित ने गोल्ड मेडल भी हासिल किया. अंकित के प्रतिभा को देखते हुए ओलंपिक में भी जाने का मौका मिला. लेकिन मजदूर परिवार होने के वजह से पैसा बाधा बन गया और ओलंपिक के सपना चूर चूर हो गया. अगर पैसा होता तो मैं ओलंपिक में पार्टिसिपेट कर चुका होता.
बिना संसाधनों के यहां तक पहुंच गया
उन्होंने बताया कि मैं बिना संसाधनों के यहां तक पहुंच गया. एक खिलाड़ी को जो सबसे अधिक जरूरी होता है वो होता है डाइट. लेकिन मुझे सही से डाइट तक उपलब्ध नहीं हो पाता है. एक अच्छे ट्रेनर की आवश्यकता होती है. लेकिन यहां कहां से आएगा. उतने पैसे नहीं है कि मैं एकेडमी में जाकर रह सकूं. अगर सुविधा मिले तो मैं ओलंपिक में भी परचम लहरा सकता हूं. देश के लिए मेडल ला सकता हूं. वहीं अंकित को देखकर राजकुमार को भी खेलने का जुनून चढ़ा उसने भी कई मेडल हासिल किया. उसने बताया कि अगर हमलोगों को सही सुविधा मिले तो देश के लिए खेलूंगा.