भगवान पर पुष्प और पत्तियां चढ़ाने का प्राचीनकाल से विधान है. सनातन धर्म में कई पेड़-पौधों और पुष्पों को देवतुल्य माना गया है. जैसे घर के आंगन में लगा तुलसी का पौधा महज एक पौधा नहीं है बल्कि ये अपने आप में देवतुल्य मानी जाती हैं. वहीं भगवान शिव की आराधना बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि हर शिवरात्री पर बेलपत्र और धतूरे भक्तजन शिवलिंग पर जरूर चढ़ाते हैं. सामान्य दिनों में भी लोग प्रतिदिन की पूजा-अर्चना में भगवान पर पुष्प चढ़ाते हैं. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भगवान की पूजा में हर बाद सिर्फ ताजे पुष्प ही चढ़ाए जा सकते हैं? अगर तुलसी या बेलपत्र भगवान पर चढ़ाना है तो क्या उसे हर बार ताजा ही तोड़ना चाहिए? वृंदावन के प्रसिद्ध धर्मगुरू और संत प्रेमानंद महाराज भगवान की अराधना में पुष्पों के बारे में शास्त्रीय पद्धति को समझा रहे हैं.
प्रेमानंद महाराज भगवान की अराधना में किसी भी तरह के आडंबर या कर्मकांड का कभी समर्थन नहीं करते. पर वह हमेशा शास्त्रीय पद्धति के माध्यम से अराधना को सही मानते हैं. प्रेमानंद महाराज का कहना है कि ‘तुलसीजी का दल उतार लो और 7 दिन तक इसे भगवान पर चढ़ाओ, ये ताजा ही माना जाता है.’ यानी अगर आपको लड्डूगोपाल को या ठाकुर जी को भोग लगाना है तो आप भोग के लिए 7 दिन की तुलसी दल एक बार में ही तोड़कर रख सकते हैं. रविवार के दिन तुलसी नहीं तोड़ी जाती. ऐसे में आप तुलती जी का दल पहले ही तोड़कर रख सकते हैं, ये ताजा माना जाता है.
वहीं प्रेमानंद महाराज आगे बताते हैं, ‘बेलपत्र 5 दिन तक ताजा माना जाता है.’ यानी भगवान शिव को अपर्ति करने के लिए आप बेलपत्र को 5 दिन तक तोड़कर रख सकते हैं और उसे चढ़ा सकते हैं. इसे ताजा ही माना जाएगा. वहीं कमल का फूल, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर चढ़ाया जाता है, उसे 3 दिन तक ताजा माना जाता है. इसके अलावा अन्य जितने भी पुष्प होते हैं, वह 1 दिन तक ताजा माने जाते हैं. यानी अगर आपके लिए हर रोज सुबह फूल चुनना सुलभ नहीं है, तो आप एक दिन पहले भी फूल तोड़कर या मंगाकर सुबह पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं. इन्हें ताजा ही माना जाता है.