सोनभद्र: जिले के अंतिम छोर पर, जंगली इलाके और पहाड़ियों के बीच, 400 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित मां अमिला देवी का मंदिर न केवल आस्था और चमत्कार का प्रतीक है, बल्कि एक ऐतिहासिक और रहस्यमय स्थल भी है. यह मंदिर यूपी, बिहार और झारखंड की सीमाओं से सटा हुआ है और अपनी अलौकिक मान्यताओं के कारण दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है.
सोनभद्र के मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर तारिया रेंज की पहाड़ियों में है. यह स्थान बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के भक्तों का प्रमुख धार्मिक केंद्र बन चुका है. माना जाता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य पूरी होती हैं. भूत-प्रेत बाधा हो, रोग हो, या जीवन की अन्य समस्याएं—माता रानी की कृपा से सबका समाधान होता है.
मां अमिला देवी की उपस्थिति का रहस्य
मंदिर के इतिहास के अनुसार, यह स्थान संत कीनाराम महाराज की साधना स्थली था. कहा जाता है कि संत कीनाराम अपनी शिष्या अमिला के साथ ॐ पर्वत पर साधना कर रहे थे. इस दौरान उनकी शिष्या अमिला का देहावसान हो गया. जब संत ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा, तो पाया कि उनकी शिष्या गोलोक अवस्था में पहाड़ पर प्रकट हुई.
बाद में, आदिवासी समाज के एक व्यक्ति को स्वप्न में माता अमिला देवी के दर्शन हुए. उसने इस बारे में स्थानीय राजा और लोगों को बताया. जब सभी उस स्थान पर पहुंचे, तो वहां देवी की मूर्ति स्थापित थी. तभी से यहां माता की पूजा-अर्चना शुरू हुई.
चमत्कार और आस्था का केंद्र
माता अमिला देवी के भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से यहां की गई प्रार्थना अवश्य फलीभूत होती है. संत कीनाराम महाराज के आशीर्वाद के कारण यह स्थान चमत्कारिक रूप से श्रद्धालुओं की समस्याओं का समाधान करता है.
विशेष आयोजन और भीड़
नवरात्र के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. लोग दूर-दूर से माता के दर्शन और आशीर्वाद लेने आते हैं. मंदिर में आदिवासी समाज और अन्य समुदायों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है.
धार्मिक महत्व का संरक्षण
गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखता है. संत कीनाराम महाराज द्वारा दिए गए आशीर्वाद और उनकी शिष्या की अलौकिक उपस्थिति ने इसे आस्था और चमत्कार का केंद्र बना दिया है.
मां अमिला देवी का धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है, जहां आस्था और इतिहास का अनोखा संगम देखने को मिलता है. भक्तों की मान्यता, संतों के चमत्कार, और यहां की दिव्यता इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र बनाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 14:59 IST
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