सुल्तानपुर. आमतौर पर मृतक की अंतिम यात्रा गमगीन माहौल में निकलती है. आपने भी मृतक की अर्थी को उसके परिजन के कंधों पर दु:खी मन से श्मशान घाट ले जाते हुए देखा होगा. लेकिन सुल्तानपुर के इस बेटे ने अपने पिता की मौत को जश्न के रूप में मनाया. इस दौरान अपने दोस्तों के उसने जमकर डांस किया. बैंड बाजे के साथ अर्थी निकाली गई. अंतिम यात्रा का यह अनोखा अंदाज जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.
मामला सुल्तानपुर जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र के नारायणपुर वार्ड का है. जहां दुर्गापुर मोहल्ले के रहने वाले श्रीराम के पिता रामकिशोर मिश्रा का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ था. रामकिशोर के निधन पर उनके बेटे ने बाकायदा बैंड बाजे के साथ अंतिम संस्कार किया.
सुल्तानपुर के हाथी नाला श्मशान घाट पर अंतिम यात्रा पहुंचने से पहले पूरे शहर में बैंड बाजे के साथ उसमें शामिल लोग डांस करते रहे. बाजा बजाने वालों के सिर पर फेरी करते हुए नोटों की गड्डी भी लुटाई गई. इसके अलावा तेरहवीं में भी बैंड बाजा के साथ लोगों को भोजन कराया गया.
क्या बोला बेटा
रामकिशोर के बेटे श्रीराम के अनुसार, अंतिम विदाई रो-गाकर करनी ही नहीं चाहिए. रोने से जाने वाले की आत्मा को तकलीफ होती है. यह भी जीवन का एक उत्सव है और इसी तरह सेलिब्रेट किया जाना चाहिए.
क्या बोले लोग
समाजसेवी जयशंकर द्विवेदी ने बेटे श्रीराम की ओर से अपने पिता की ऐसी अंतिम यात्रा निकालने की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह जीवन एक यात्रा है और यात्रा पूरी करने के बाद लोगों की विदाई पवित्र और खुशी मन से करनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 22:02 IST