इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक अर्जी पर लेकर सुनाया अहम फैसला हाईकोर्ट ने कहा कि पति से लंबे समय तक अलग रहना क्रूरता है हाईकोर्ट ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद को लेकर दाखिल तलाक अर्जी पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पति से लंबे समय तक अलग रहना, संबंध न बनाना और विवाह को बचाने के लिए कोई कानूनी प्रयास न करना क्रूरता है. इस आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट गाजीपुर के तलाक अर्जी को खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने पति की तलाक अर्जी स्वीकार कर ली है.
गौरतलब है कि याची पति गाजीपुर निवासी महेंद्र प्रसाद की शादी 26 फरवरी 1990 को हुई थी. याची पति महेंद्र पेशे से इंजीनियर थे और उनकी पत्नी सरकारी विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत थी. लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही आपसी विवाद के चलते दोनों अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट गाजीपुर में तलाक अर्जी दाखिल कर दी. फैमिली कोर्ट ने सुनवाई के बाद तलाक अर्जी को रद्द कर दिया. याची पति महेंद्र ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. उन्होंने पत्नी पर साथ न रहने और किसी तरह के संबंध न रखने के आधार पर तलाक अर्जी मंजूर किए जाने की मांग की.
पत्नी ने वैवाहिक रिश्ते को पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि शादी के लगभग 35 वर्षों में पति-पत्नी बमुश्किल कुछ वर्षों तक ही साथ रहे हैं. पत्नी ने स्वयं अपने पति के साथ रहने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी पत्नी केवल अपनी शादी को कानूनी रूप से जीवित रखना चाहती है, जबकि 23 साल से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं, पत्नी ने वैवाहिक रिश्ते को पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने ना ही कभी संबंध बनाया, यह क्रूरता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस आधार पर याची पति की तलाक अर्जी स्वीकार कर ली. जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह व जस्टिस डी रमेश की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 07:07 IST