लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के त्रिवेणी नगर इलाके में कालाजार का मरीज मिला है. त्रिवेणी नगर के एक 17 वर्षीय युवक को तेज बुखार आने पर जब डॉक्टरों ने उसकी जांच की तो पता चला कि उसे कालाजार है. इसके बाद मेडिकल विभाग की सभी टीमें अलर्ट हो गईं. दरअसल, 17 वर्षीय एक युवक को तेज बुखार आने के कारण 23 अक्टूबर को एरा मेडिकल कॉलेज में एडमिट किया गया जहां जांच करने पर 8 दिन बाद उसकी रिपोर्ट में कालाजार पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और मलेरिया की टीम ने घर की जांच और छिड़काव का भी काम किया.
इस मक्खी से होता है कालाजार
इस जांच में मरीज के घर से एक बालू मक्खी भी मिली. बालू मक्खी के मिलने के बाद इस इलाके में आस- पास के करीब 300 लोगों की टेस्टिंग करवाई गई. हालांकि, बाकी लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली. यह मक्खी सीलन वाले मकानों में पाई जाती है. आपको बताते चलें कि कालाजार मादा बालू मक्खी के काटने से होता है. यह मक्खी दिखने में छोटी होती है और यह सामान्य मक्खियों की तरह उड़ती नहीं है बल्कि यह फुदक-फुदक कर चलती है.
भारत में खत्म मान ली गई थी कालाजार बीमारी
स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा त्रिवेणी नगर इलाके के घरों में दवाओं का छिड़काव भी किया गया. आपको बताते चलें कि नेपाल के निकटवर्ती जिलों में एक्का-दुक्का कालाजार के मरीज मिलते थे. उत्तर प्रदेश में कालाजार के मरीज न मिलने के कारण वर्ष 2019 में कालाजार की बीमारी को खत्म मान लिया गया था.
डॉ. श्वेता पांडेय से कालाजार की बीमारी पर बात करने पर वह बताती हैं कि कालाजार लीशमैनिया परजीवियों के संक्रमण से होता है. यह फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाइज के काटने से फैलती है. लखनऊ में मिले कालाजार के इस केस पर संयुक्त निदेशक (कालाजार) डॉ. ए.के चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य टीम को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा गया है. इसके साथ ही निदेशक ने बताया कि जिला मलेरिया अधिकारी को भी निर्देश दिया गया है कि मरीज के घर के आसपास के 300 परिवारों के घरों में सिंथेटिक पायरेथ्रायड का खिड़काव किया जाएगा.
FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 17:06 IST