मेरठ: स्कूली पढ़ाई पूरी कर जब स्टूडेंट प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरियों की तैयारी शुरू करते हैं तो उन्हें जीवन में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है. उन असफलताओं में भी सफलता की कहानी छुपी होती है. कई लोग इन असफलताओं से सबक लेते हैं और कई बार कुछ लोग असफलता से घबरा भी जाते हैं. हालांकि, माता-पिता औऱ टीचर बच्चों को जीवन में हार ना मानने की सीख देते हैं लेकिन उसके बाद भी कुछ युवा जल्दी हिम्मत हारने लगते हैं. इसी बारे में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में शौर्य चक्र से सम्मानित सीआरपीएफ सहायक कमांडेंट अमित कुमार ने अपनी बात कही.
अमित कुमार ने विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाष चंद्र प्रेक्षाग्रह में आयोजित परमवीर वंदनम कार्यक्रम में अपनी बात रखी. सीआरपीएफ सहायक कमांडेंट अमित कुमार कहते हैं, “जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियों के बीच भी हम सफलता हासिल कर सकते हैं.” उन्होंने अपने जीवन के अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि उन्हें भी पहली बार में सफलता नहीं मिली थी. उन्होंने कई बार एसएसबी का एग्जाम दिया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उसका उन्हें परिणाम मिला.
आज वह सहायक कमांडेड के तौर पर सीआरपीएफ में काम कर रहे हैं. ऐसे ही युवाओं को भी अपना लक्ष्य निर्धारित कर उस तरफ आगे बढ़ना चाहिए. जब युवा अपने लक्ष्य पर फोकस करेंगे तो निश्चित ही वह सफलता हासिल कर पाएंगे. जो युवा लक्ष्य से भटक जाते हैं वह जीवन में कभी सफलता हासिल नहीं कर सकते हैं.
गुरुजनों का हमेशा करें सम्मान
सहायक कमांडेड अमित कुमार कहते हैं कि आज भी जब वह अपने कॉलेज में जाते हैं तो उन्हें इसी बात का डर रहता है कि कॉलेज में गुरुओं के सामने कोई ऐसी बात मुंह से ना निकले जाए जिससे कि उन्हें डांट पड़े. उन्होंने कहा कि पढ़ते समय कई बार टीचरों की डांट भी सुनने को मिलती थी लेकिन उसमें भी भविष्य की नींव छुपी होती थी.
सीआरपीएफ सहायक कमांडेड अमित कुमार अपनी बहादुरी को लेकर एक अलग ही पहचान रखते हैं. नक्सली क्षेत्र के अलावा उन्होंने जम्मू कश्मीर में भी विभिन्न ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आतंकवादियों को ढ़ेर किया है. इसके लिए उन्हें भारत सरकार शौर्य चक्र से भी सम्मानित कर चुकी है.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 21:10 IST