अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के खैर विधानसभा उपचुनाव में जातीय समीकरण की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. खैर क्षेत्र में जाट, दलित, मुस्लिम और ठाकुर समुदायों की अच्छी खासी संख्या है. ये समुदाय चुनाव परिणाम को सीधे प्रभावित कर सकते हैं. जाट और ठाकुर समुदाय परंपरागत रूप से इस क्षेत्र में एक प्रभावशाली हैं. मुस्लिम और दलित मतदाता भी किसी पार्टी की जीत-हार का अंतर तय करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल इस बार इन समुदायों को साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
भाजपा, सपा गठबंधन, बसपा जैसे प्रमुख दल अपने-अपने उम्मीदवारों और रणनीतियों में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा का फोकस जहां अपने परंपरागत मतदाताओं को एकजुट रखना है वहीं सपा और बसपा दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे चुनावी मैदान में उतर रही हैं. सपा-बसपा भी निर्णायक भूमिका में आने के लिए अपने सामाजिक समीकरण को साधने में लगी हैं. इस उपचुनाव में हर जाति और समुदाय का वोट महत्वपूर्ण है और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल किस जातीय समीकरण के सहारे विजय हासिल करता है.
लोकल 18 से खास बातचीत में राजनीतिक विशेषज्ञ मोहम्मद कामरान ने बताया कि अलीगढ़ के 71 खैर विधानसभा को शुरू से ही जाट लैंड कहा जाता है. यहां जाट वोट का काफ़ी प्रभाव है इसीलिए यहां सभी पार्टियां जाट वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए और उनको प्रभावित करने के लिए ऐसे कैंडिडेट उतारती हैं जो जाट वोट बैंक को लुभा सके. अगर यहां वोट प्रतिशत की बात करें तो खैर विधानसभा में 1,15,000 जाट मतदाता हैं. इनमें 70,000 ब्राह्मण और 70,000 जाटव वोट हैं. इनके अलावा 1,00,000 एससी वोट और 35,000 के करीब वैश्य वोट हैं और 30,000 मुस्लिम वोट हैं.
मोहम्मद कामरान ने कहा कि पिछले दो बार से यहां भारतीय जनता पार्टी के अनूप प्रधान वाल्मीकि विधायक रहे हैं और एक बार उनको भारतीय जनता पार्टी ने मंत्री भी बनाया है. अब वो हाथरस सीट से लोकसभा सांसद हुए हैं तो यहां सीट खाली होने से उप चुनाव हो रहा है. यहां सरकार किसी की भी बनी हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी, आरएलडी और बीएसपी तीन पार्टियों का यहां प्रभाव है. आरएलडी इसलिए क्योंकि इसे जाट लैंड कहा जाता है. यह एरिया ब्रज क्षेत्र में आता है तो यहां भाजपा भी महत्वपूर्ण रोल अदा करती है.
प्रदेश में जीतने के बाद भी सपा हार गई थी खैर सीट
दिलचस्प बात यह है कि 2012 में जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब भी यहां खैर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्ट हार गई थी. आज की स्थिति में अगर खैर उपचुनाव का रुझान देखा जाए तो यहां सीधा-सीधा भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच में मुकाबला है. अब यह तो नतीजे बताएंगे कि खैर की जनता किसको चुनती है और किस पार्टी को यहां से जीत मिलती है.
Tags: Aligarh election, Aligarh news, Aligarh News Today, Assembly by election, By election, Local18, UP Assembly Election, UP Election
FIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 19:15 IST