सीबीआई की लखनऊ टीम ने अयोध्या में गुरुवार को छापेमारी की। दो वाहनों से पहुंची टीम ने यहां के छावनी परिषद के दफ्तर में अंदर जाते ही दोनों मुख्य प्रवेश गेट पर ताला डलवा दिया। फिर आठ घंटे तक वहां पड़ताल की। कई कर्मचारियों से पूछताछ करने के अलावा विकास कार्यों में धांधली वाली शिकायत से जुड़ी फाइले भी खंगाली। इस दौरान कई टेंडर में गड़बड़ियां मिलीं। एक दिन के लिये आई टीम के कुछ सदस्य शाम को लखनऊ लौट आये पर टीम के कुछ सदस्य अभी अयोध्या में ही डेरा डाले हुए हैं। देर रात तक दफ्तर में सीबीआई की कार्रवाई चल रही थी। यह टीम शुक्रवार को भी दफ्तर में पड़ताल करेगी।
छावनी परिषद के दफ्तर में गुरुवार सुबह करीब 11 बजे सीबीआई टीम पहुंची थी। कुछ देर बाद ही कैंट कोतवाली से भी पुलिसकर्मी पहुंच गये। हालांकि इन्हें सिर्फ गेट पर ही रहने की अनुमति थी। सीबीआई के पहुंचने के बाद किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को कार्यालय से बाहर नहीं जाने दिया गया। इन सभी के मोबाइल फोन भी टीम ने जमा करवा लिये थे। कैंट स्थित दफ्तर के कई कर्मचारियों पर छावनी परिषद के विकास कार्यों में अनियमितता करने का आरोप लगा था। इस मामले में रक्षा मंत्रालय से कई बार शिकायत हुई थी।
पूर्व मंत्री पवन पाण्डेय ने भी लगाया था गड़बड़ी का आरोप
पूर्व मंत्री तेज नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय ने 17 अगस्त को सदर बाजार निवासी राहुल यादव पिंटू और अमरजीत निषाद के सहयोग से जुटाए गए दस्तावेजों के आधार पर करीब 15 करोड़ के टेण्डर में अनियमितता का आरोप लगाया था। उसने कहा था कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे ठेके हथियाये गये थे। इस मामले ने तूल पकड़ लिया। इससे पहले ही तत्कालीन सीईओ यशपाल सिंह का स्थानांतरण लखनऊ कर दिया गया था। कुछ दिन बाद ही वित्तीय अधिकार पर रोक भी लगा दी गई थी। उनके स्थान पर नये सीईओ जिज्ञासा राज की तैनाती हो चुकी है।
कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं
बताया जाता है कि विकास कार्यों के लिए एक ही आईपी एड्रेस से टेण्डर की खरीद और बिक्री का इस्तेमाल किया गया है। इस खेल में तत्कालीन सीईओ सिंह और कार्यालय के लेखाकार संजीव कुमार पर भी उंगली उठ रही थी। सीबीआई जांच ने आरोपों के आधार पर ही जांच शुरू की। बताया जाता है कि कई कर्मचारियों ने सीबीआई टीम का पूरा सहयोग किया जबकि कुछ कर्मचारी गोलमोल जवाब देते रहे।
वर्ष 2021 से 2023 तक की फाइलों को देखा
सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक टीम ने वर्ष 2021 से 2023 की फाइलों को देखा। इन फाइलों के आधार पर ही कर्मचारियों से लम्बी पूछताछ की गई। टेंडर में मिली गड़बड़ियों पर कई कर्मचारियों ने गोलमोल जवाब दिया। कम्प्यूटर के कई डाटा को भी खंगाला। डाटा के आधार पर कर्मचारियों से अलग-अलग पूछताछ की गई। बताया जाता है कि लेखाकार सीबीआई के कई सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
लेखाकार पर सहकर्मी लगा चुका है आरोप
अयोध्या। छावनी परिषद अयोध्या कैंट के लेखाकार संजीव कुमार को इस पूरे प्रकरण में काफी जानकारी है। तत्कालीन सीईओ के वह बेहद करीबी रहे हैं। कुछ समय पहले ही सहायक सफाई निरीक्षक जितेन्द्र कुमार सिंह ने सफाई स्थापन सैन्य क्षेत्र के टेण्डर में अनियमितता का आरोप लगाया था। उस समय इस मामले की जांच के लिए महानिदेशक, रक्षा सम्पदा, रक्षा मंत्रालय भारत सरकार से शिकायत की थी।