लाल टोपी और काले कारनामे कहकर समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर सीएम योगी के हमले के बाद अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने निशाना साधा है। केशव प्रसाद मौर्य ने लाल टोपी के साथ जालीदार टोपी को भी जोड़ दिया है। केशव मौर्य ने अखिलेश यादव पर हमला करते हुए सोमवार को कहा कि सपा लाल और सफेद जालीदार टोपी के बीच झूलती रहती है। केशव के सफेद जालीदार टोपी से मतलब मुस्लिम समाज की टोपी से है। मुस्लिम समाज के लोग खासकर नमाज के समय इसी टोपी को पहनते हैं। अक्सर केशव और अखिलेश के बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वाकयुद्ध चलता रहता है। पिछले दो तीन दिनों से इस हमले में थोड़ी कमी आई थी।
पिछले ही हफ्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सपा की टोपी को लेकर निशाना साधा था। कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए सीएम योगी ने कहा था कि इनकी टोपी लाल है, लेकिन कारनामे काले हैं और इनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है। इसी से आगे बढ़ते हुए डिप्टी सीएम मौर्य ने सोमवार को एक्स पर अपने एक पोस्ट में लिखा कि सपा के साथ टोपी का खेल ही निराला है। सिर पर लाल टोपी और पायजामा की जेब में सफेद जालीदार टोपी रखते हैं।
मौर्य ने यह भी दावा दोहराया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2017 का प्रदर्शन दोहराएगी। सफेद जालीदार टोपी मुसलमान लगाते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब 14 वर्ष के बाद उप्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी और तब पार्टी ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से सहयोगी दलों समेत कुल 325 सीटों पर जीत हासिल की थी। केशव प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद अखिलेश यादव ने 30 अगस्त को कन्नौज में पलटवार करते हुए कहा था कि रंग अच्छा बुरा नहीं होता, नजरिया अच्छा बुरा होता है। यादव ने मुख्यमंत्री योगी के लाल टोपी वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा था कि योगी जी अभी लोकसभा चुनाव में मिली हार के सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा था, “लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है, वे अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं। लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है, लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है, वे लाल रंग को चुनौती मानते हैं।”
उन्होंने कहा, “इसी संदर्भ में यह मनोवैज्ञानिक मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है। काला रंग भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है। जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जाने वाला काला टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल।”