डाला (गुड्डू तिवारी/राकेश अग्रहरि)
डाला। श्रावण मास के मलमास की समाप्ति के बाद सातवें सोमवार व शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को क्षेत्र के अचलेश्वर महादेव मंदिर समेत सभी शिवालयों में जलाभिषेक व नाग पंचमी का पर्व धूम-धाम से मनाया गया।अचलेश्वर महादेव, वैष्णो मंदिर, बाड़ी स्थित शिव मंदिर, दुअरा पहाड़ी गुफा मंदिर शिवालयों में पहुंचे भक्तों ने भगवान शिव के साथ नागराज की पूजा अर्चना कर माथा टेका।इसके पूर्व नाग देवता की महिलाओं ने घर पर पूजा अर्चना की।नागपंचमी के अवसर पर घर में सुख संपन्नता व समृद्धि के लिए सुबह परंपरागत तरीके से महिलाओं और लड़कियों ने शिव मंदिर में जाकर पूजा की। नाग देव का चिह्न बनाकर उनकी पूजा व पुष्प अर्पित कर मनोकामना पूर्ण होने का आशिर्वाद मांगा।हर हर महादेव के जयकारों के बीच शिवालयों के आस-पास का वातावरण भी शिवमय हो गया।
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा की जाती है।भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है इसलिए इसे नाग पंचमी कहा जाता है इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है।अनंत, वासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अष्ववर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक एवं पिंगल प्रमुख हैं।नाग देवता को लावा व दुध चढ़ाया जाता है।मान्यता है कि यदि नाग पंचमी के दिन इन सभी नागों की पूजा की जाए तो न केवल कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है बल्कि नाग देवता की पूजा से अन्य लाभ भी होते हैं।सुरक्षा की दृष्टि से चौकी प्रभारी राजेश प्रताप सिंह प्रत्येक शिवालयों पर पहुंचते रहे।