करमा (उमाकान्त मिश्रा)
– एक वर्ष मे अब तक आधा दर्जन से अधिक की हो चुकी है मौते
– बिना किसी सर्जन के धड़ल्ले से की जाती है सर्जरी
– हर बार स्वास्थ्य विभाग अस्पताल सील कर पूर्ण करता है औपचारिकता
करमा। करमा थाना क्षेत्र के केकराही गाँव में स्थित लाइफ केयर हॉस्पिटल में एक बार फिर तीन वर्षीय बच्ची की मौत हो गयी।प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार की रात एक गरीब अनुसूचित जाति की बच्ची अर्पिता पुत्री अजय कुमार निवासी पाडर थाना राबर्ट्सगंज को निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।जो बुखार से पीड़ित बताई जा रही थी।परिजनों ने बताया कि बच्ची का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था, अस्पताल के स्टॉफ द्वारा इंजेक्शन लगाते ही मौत हो गयी।परिजनों का हंगामा करते देख अस्पताल प्रबंधन सहित सभी कर्मचारी भागने मे सफल हो गये। परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही के कारण बच्ची की मौत हुई है।अपना दल एस युवामंच के जिलाध्यक्ष मुकेश पटेल तरंग ने आरोप लगाया कि एक सप्ताह पूर्व मेरे द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी को इस अस्पताल को मानक के विपरीत संचालित करने, बिना प्रशिक्षित स्टॉफ से मरीजों का उपचार कराने, अस्पताल संचालक डॉ विनोद कुमार स्वयं अयोग्य होते हुए आये दिन बड़ी बड़ी सर्जरी करते है की जाँच व कार्यवाही के लिए पत्र प्रेषित किया था, परन्तु स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी।शायद उन्हे 07वी मौत का इंतजार था, मासूम की मौत के बाद पुनः स्वास्थ्य विभाग अपने जिम्मेदारी से बचने के लिए सील की कार्यवाही कर दिया।श्री तरंग ने बताया कि इसके पूर्व भी इस अस्पताल मे डिलेवरी और सर्जरी के दौरान आधा दर्जन से अधिक नौजवान महिलाओ ने अपनी जान गवा दिया है।श्री पटेल ने आरोप लगाया कि जब कोई मौत हो जाती है तो स्वास्थ्य विभाग मानक पुरा नही होने, लापरवाही बर्तने के आरोप मे अस्पताल सील कर देता है, परन्तु एक सप्ताह अथवा एक माह बाद पुनः अस्पताल को शुरु करने की अनुमति दे देता है, जो अबूझ पहेली बना हुआ है।श्री पटेल तरंग ने कहा कि यदि इस अवैध ढंग से संचालित, मानक विहीन, अप्रशिक्षित स्टॉफ व चिकित्सक को पूर्णतः बंद कर एफ आई आर नही कराई गयी तो विवश होकर हम अपने संगठन के साथ धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।अस्पताल संचालक का अस्पताल से फरार होने के कारण सम्पर्क नही हो सका।सूचना मिलने पर मौके पर पहुचे नोडल अधिकारी डॉ गुलाब शंकर व केकराही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा शुभम कुमार ने हॉस्पिटल को सील कर दिया है।सूत्रों की माने हर तीन माह बाद एक मरीज की मौत का सिलसिला जारी है।मौत के बाद परिजनों को दो से चार लाख रुपये देकर कही मुंह नही खोलने की बात से मामला शांत हो जाता है।यह खेला बहुत दिनों से इस हॉस्पिटल में हो रहा हैं।किसी को कानो कान खबर तक नही होती है।कुछ जनप्रतिनिधि व तथा कथित समाज सेवी डाक्टरी चलाने का ठेका भी ले लेते हैं।परिजनों का कहना था कि जब बच्चा सीरियस था तो डाक्टर ने भर्ती क्यो किया ? परिजनों ने बताया कि इलाज में लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हुई है।इधर बच्ची की मौत के बाद परिजनों को रो रोकर बुरा हाल है।