Shani ka Lagna kundali par prabhav: नवग्रहों में शनि को न्याय का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्मफल दाता ग्रह कहा गया है. यह ग्रह केवल कर्मों का फल ही नहीं देता, बल्कि जीवन में संतुलन और अनुशासन की भावना भी विकसित करता है. शनि को दुखों का कारक, पिता का प्रतिनिधि और जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति का भी स्रोत माना गया है. अगर कालपुरुष की कुंडली के आधार पर देखा जाए तो शनि को कर्म के साथ-साथ इच्छा पूर्ति का भी कारक माना गया है. शनि की साढ़ेसाती हो, ढैय्या हो या शनि कुंडली के किसी भी भाव में स्थित हो तो जातक को उस समय या पूरे जीवन में न्याय करना चाहिए.
जो जातक शनि की उपस्थिति वाले घर या दृष्टि स्थान पर न्याय करता है, शनि उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करता है. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.
शनि लग्न में हो तो
अगर शनि लग्न भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक आमतौर पर लंबे, थोड़ा सावंले और मेहनती होते हैं. जीवन के प्रारंभिक चरण में उन्हें पारिवारिक, सामाजिक या शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर वह मेहनत के साथ निरंतर आगे बढ़ते हैं तो 36 वर्ष की आयु के बाद उन्हें बड़े स्तर पर सफलता और विकास प्राप्त होता है. ऐसे जातक कई बार राजनीति या बड़े संस्थानों में उच्च पदों पर पहुंचते हैं. उनका सामाजिक जीवन भी सम्मानजनक होता है.
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शनि की दृष्टियां और उनके प्रभाव
तीसरी दृष्टि (तृतीय भाव): मित्रों और भाइयों के साथ प्रेम, सहयोग और संबंधों को मजबूत बनाती है.
सप्तम दृष्टि (सप्तम भाव): जीवनसाथी के साथ भावनात्मक संबंध अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार दूरी या अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
दशम दृष्टि (दशम भाव): पिता से संबंधित भाव पर प्रभाव डालती है, जिससे प्रारंभिक जीवन में पिता का सुख सीमित हो सकता है. लेकिन जातक अपने पुरुषार्थ और मेहनत के बल पर जीवन में उन्नति करता है.
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राशियों के अनुसार शनि का प्रभाव
मकर, कुंभ और तुला लग्न: इन लग्नों के लिए शनि का लग्न में बैठना अत्यंत शुभ और फलदायक होता है.
मेष, वृश्चिक और सिंह लग्न: इन लग्नों में शनि का लग्न में स्थित होना अनुकूल नहीं माना जाता. यह जातक को शारीरिक व मानसिक कष्ट दे सकता है.
शनि मीन लग्न वालों को धन देता है, लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
विशेष योग
तुला लग्न में शनि: पंच महापुरुष योग का निर्माण करता है, जो जातक को अत्यंत सफल बनाता है.
वृष लग्न में शनि: श्रेष्ठ और उत्तम योग बनाता है, जिससे जातक को स्थायित्व, सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है.