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what is sehri and iftar: रमजान इसलिए भी बहुत पवित्र महीना है कि इस महीने में जो भी नेक काम होता है उसका सबाब 70 गुना बढ़ जाता है.
रमजान में क्यों की जाती है सहरी और इफ्तार, जाने इसका इस्लाम मे महत्व
अलीगढ़: रमजान इस्लाम का पवित्र महीना है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं. रोज़े की शुरुआत सुबह सहरी खाने से होती है, जो फज्र (सुबह की) नमाज़ से पहले खाई जाती है. इससे दिनभर भूखे-प्यासे रहने की ताकत मिलती है. फिर पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रोज़ा रखा जाता है और शाम को सूरज डूबने के बाद इफ्तार किया जाता है. इफ्तार के समय पहले दुआ मांगी जाती है फिर रोज़ा खोलने के लिए खजूर या पानी लिया जाता है. ऐसे रोज़ा खोला जाता है. सहरी और इफ्तार सिर्फ खाने-पीने का हिस्सा नहीं, बल्कि सब्र, शुक्र और अल्लाह की नेमतों को महसूस करने का तरीका भी है. आइये जानते हैं रमजान मे सहरी और अफ्तार की अहमियत.
जानकरी देते हुए मुस्लिम धर्मगुरु इफराहीम हुसैन बताते हैं कि सुबह के समय फजर का टाइम शुरू होने से पहले हमें खाना-पीना छोड़ देना होता है, जबकि सहरी करना सुन्नत है. सुन्नत उसे कहा जाता है जो पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जो चीज की है उसे अगर कोई करता है तो उसे सुन्नत कहा जाता है. इफ्तारी उसे कहते हैं जब रोजा खोला जाता है. शाम के समय मगरिब की नमाज होती है. वहीं रोजा खोलने को इफ्तारी और रोजा रखने से पहले को सहरी कहा जाता है.
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन ने बताया कि रमजान मुसलमान के लिए बहुत ही पवित्र महीना है. इसकी फजीलत कुरान और हदीसों में बताई गई है. रमजान इसलिए भी बहुत पवित्र महीना है कि इस महीने में जो भी नेक काम होता है उसका सबाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है. रमजान महीने में प्रत्येक दिन रोजे रखे जाते हैं. प्रत्येक मुसलमान पर जो बालिक आकिल हो उस पर फर्ज होते हैं. इसके साथ ही रोजा छोड़ने वाला गुनहगार होता है. रोजा सुबह के समय रखा जाता है, लेकिन उससे पहले सहरी की जाती है जो की सुन्नत है.
मौलाना ने बताया कि रोजे से पहले सहरी में खाना खाया जाता है. शाम के समय मगरिब की अज़ान होते ही रोजा इफ्तार किया जाता है. वहीं सहरी और इफ्तार दोनों ही सुन्नत है, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जो चीज की है उसे अगर कोई करता है तो उसे सुन्नत कहा जाता है. वही रोजा नहीं रखने वाला गुनहगार होता है, इसलिए रमजान महीने में जो बालिक आकिल हैं उनको रोजा अवश्य रखना चाहिए.