Last Updated:
Amroha UP News; अमरोहा में मनरेगा घोटाले में मोहम्मद शमी की बहन शबीना और उनके ससुराल पक्ष के कई लोग शामिल पाए गए हैं. डीएम निधि गुप्ता वत्स ने दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. शबीना की सास से 8.68 लाख रुपये…और पढ़ें
मोहम्मद शमी की बहन का नाम मनरेगी मजदूरों में शामिल.
हाइलाइट्स
- मनरेगा घोटाले में मोहम्मद शमी की बहन शबीना दोषी पाई गईं.
- शबीना की सास से 8.68 लाख रुपये की वसूली होगी.
- डीएम ने दोषियों पर एफआईआर और निलंबन के आदेश दिए.
अमरोहा. अमरोहा में मनरेगा घोटाले में कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. जांच में टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की बहन शबीना और उनके ससुराल पक्ष के कई लोगों का नाम सामने आया है. शबीना, उनके बहनोई गजनबी और कुछ अन्य परिजनों को मनरेगा मजदूर दिखाकर बड़ा भुगतान लेने का मामला है. शबीना की सास गुले आयशा से 8.68 लाख रुपये की वसूली की जाएगी. इसके अलावा डीएम ने तत्कालीन तीन पंचायत सचिव उमा, अंजुम और पृथ्वी, एपीओ ब्रजभान सिंह समेत आठ अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही तत्कालीन बीडीओ प्रतिभा अग्रवाल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है. एक पंचायत सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है. डीएम ने सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के भी आदेश दिए हैं.
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना की सास ही मनरेगा फर्जीवाड़े से जुड़े गांव पलौला की प्रधान हैं. उनके अधिकार भी सीज होंगे. मामले की जांच कमेटी ने बुधवार को रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. जांच में कमेटी ने तत्कालीन बीडीओ और चार सचिवों समेत कुल 11 लोगों को फर्जीवाड़े का दोषी माना है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम ने बीडीओ और एक सचिव पर विभागीय कार्रवाई तथा तीन सचिवों समेत आठ कर्मियों पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही प्रधान गुले आयशा से मनरेगा मजदूरी के तहत निकाली गई 8.68 लाख रुपये की रिकवरी के लिए कहा है. प्रधान के रूप में उनके अधिकार सीज करने की कार्रवाई की जाएगी.
डीएम निधि गुप्ता वत्स ने कहा कि दोषी कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई भी होगी. डीएम ने परियोजना निदेशक और डीसी मनरेगा अमरेंद्र प्रताप सिंह को इस मामले की जांच सौंपी थी. कमेटी पिछले एक सप्ताह से मनरेगा में फर्जीवाड़े के हर पहलु को ध्यान में रखकर जांच कर रही थी. जांच में प्रधान के परिवार के आठ लोगों समेत कुल 18 लोगों द्वारा बिना मजदूरी किए 8.68 लाख रुपये की रकम निकालने की बात सामने आई है. इसमें ब्लॉक के कर्मचारी भी दोषी पाए गए हैं. जांच कमेटी ने तत्कालीन बीडीओ प्रतिभा अग्रवाल को भी दोषी माना है. इसके अलावा पंचायत सचिव उमा, अंजुम और पृथ्वी, एपीओ ब्रजभान सिंह, तत्कालीन रोजगार सेवक झम्मन लाल, कंप्यूटर ऑपरेटर शराफत अली, तकनीकी सहायक अजय निमेष और लेखाकार विजेंद्र सिंह को दोषी पाया है.
जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिल गई है. मामले में दोषी ग्राम प्रधान के अधिकार सीज करते हुए सरकारी धन की रिकवरी भी होगी. साथ ही दोषी मिले सभी अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित करते हुए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. तत्कालीन बीडीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है. एक पंचायत सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है.