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नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन्हीं स्वरूपों में से चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा का होता है. इनदिनों कानपुर के घाटमपुर में स्थित मां कुष्मांडा का मंदिर, भक्तों की आस्था का…और पढ़ें
माँ कुष्मांडा देवी मंदिर
हाइलाइट्स
- कानपुर के घाटमपुर में मां कुष्मांडा का प्रसिद्ध मंदिर है.
- मां कुष्मांडा के मंदिर में आंखों की बीमारियों का इलाज होता है.
- नवरात्रि के दौरान मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
कानपुर: देश भर में नवरात्रि पर्व की धूम है. इन वक्त नवरात्र में मां के मंदिरों में भक्तों की अपार भीड़ नजर आती है. नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन्हीं स्वरूपों में से चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा का होता है. कानपुर के घाटमपुर में स्थित मां कुष्मांडा का मंदिर, भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. नवरात्र के दौरान यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर का महत्व
मां कुष्मांडा का यह मंदिर एशिया के चार प्रमुख सिद्धपीठों में से एक माना जाता है. भक्तों का विश्वास है कि यहां माता के दर्शन मात्र से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. खासकर, यहां के तालाब में स्नान करने के बाद भक्तों को शारीरिक कष्टों से राहत मिलती है.
आंखों की रोशनी लौटाने वाली माता
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि माता कुष्मांडा की मूर्ति से निकलने वाले नीर को आंखों पर लगाने से आंखों की रोशनी वापस आ जाती है. कई श्रद्धालु यहां आकर इस चमत्कारी जल से अपनी आंखों की समस्याओं का समाधान पाते है. यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहाँ अपनी श्रद्धा लेकर आते हैं. नवरात्र के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है. भक्त माता कुष्मांडा के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं.
दीपदान का अद्भुत दृश्य
नवरात्रि के चौथे दिन मंदिर प्रांगण में दीपदान का आयोजन किया जाता है. लाखों श्रद्धालु यहाँ दीप जलाते हैं, जिससे मंदिर का दृश्य मनमोहक हो जाता है. इस समय पूरा मंदिर रोशनी से जगमगा उठता है और वातावरण भक्तिमय हो जाता है.
भक्तों की मनोकामना पूर्ति
मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा (कद्दू) बहुत प्रिय माना जाता है. इसलिए, भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद माता को कुम्हड़ा अर्पित करते हैं. इसी कारण इस मंदिर को ‘कुड़हा देवी’ के नाम से भी जाना जाता है. भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा मंदिर परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. हर जगह पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिससे किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो.
श्रद्धालुओं की अटूट आस्था
मां कुष्मांडा के मंदिर में आने वाले श्रद्धालु यहां आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. माता कुष्मांडा अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं. नवरात्र के इस पावन अवसर पर माँ कुष्मांडा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं और माता की भक्ति में लीन होकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. यह मंदिर भक्तों के लिए केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक भी है.