विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुक गई है और एक बार फिर FPI भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं। आपको बता दें कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मुख्य रूप से आकर्षक मूल्यांकन, रुपये में मजबूती और वृहद आर्थिक संकेतकों में सुधार के चलते चालू माह के आखिरी छह कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 31,000 करोड़ रुपये डाले हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के एक बार फिर खरीदार बनने से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में करीब छह प्रतिशत का सुधार हुआ है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस ताजा निवेश के बाद मार्च माह में एफपीआई की निकासी घटकर 3,973 करोड़ रुपये रह गई है।
जनवरी और फरवरी में की थी बड़ी बिकवाली
इससे पहले एफपीआई ने फरवरी में शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, एफपीआई प्रवाह का रुझान मुख्य रूप से दो अप्रैल से लागू होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क पर निर्भर करेगा। यदि ये शुल्क बहुत प्रतिकूल नहीं होता है, तो उनका निवेश प्रवाह जारी रह सकता है। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मार्च में भारतीय शेयर बाजार से 3,973 करोड़ रुपये निकाले हैं। हालांकि, पिछले छह कारोबारी सत्रों (21 मार्च से 28 मार्च तक) में उन्होंने शेयरों में 30,927 करोड़ रुपये डाले।
मूल्यांकन काफी आकर्षक हुआ
विजयकुमार ने कहा कि सतत बिकवाली के बाद मामूली खरीदारी तक एफपीआई की रणनीति में यह बदलाव कई कारकों से प्रभावित है। इनमें सितंबर, 2024 से जो 16 प्रतिशत का ‘करेक्शन’ हुआ है उससे मूल्यांकन काफी आकर्षक हो गया है। इसके अलावा रुपये में हाल में मजबूती आई है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि, औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े भी अनुकूल संकेत दे रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार के प्रति एफपीआई का आकर्षण फिर बढ़ रहा है।
निवेश को लेकर उत्साहित हुए
बीडीओ इंडिया के भागीदार और लीडर (एफएस टैक्स, टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज) मनोज पुरोहित ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने निदेशक मंडल की बैठक में एफपीआई समुदाय के संबंध में कुछ प्रमुख घोषणाएं की हैं, जिससे वे यहां निवेश को लेकर उत्साहित हुए हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कई कारक हैं जिनकी वजह से एफपीआई के रुख में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि एफपीआई के हालिया निवेश की वजह भारत का आर्थिक मोर्चे पर मजबूत प्रदर्शन और निवेशकों का भरोसा है।