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Hindu Nav Varsha: यूपी के वाराणसी में हिंदू नव वर्ष का स्वागत बेहद ही खास अंदाज में किया गया. शंकराचार्य घाट के अलावा दशाश्वमेध घाट पर भी गंगा आरती के जरिए नए साल का स्वागत किया गया. इस दौरान डमरू के डम-डम की आ…और पढ़ें
काशी में खास तरीके से हुआ नए साल का स्वागत
हाइलाइट्स
- वाराणसी में हिंदू नव वर्ष का स्वागत खास अंदाज में हुआ.
- शंकराचार्य घाट पर सूर्य नमस्कार और गंगा आरती की गई.
- अस्सी घाट पर विशेष हवन पूजन का आयोजन हुआ.
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हिंदू नव वर्ष का स्वागत बेहद ही खास अंदाज में किया गया. वाराणसी के शंकराचार्य घाट पर बटुकों ने सूर्य की पहली किरण के साथ इस नव संवत्सर का स्वागत किया. इस दौरान बटुकों ने सूर्य नमस्कार के साथ भगवान सूर्य का अभिवादन किया. एक साथ एक रंग के परिधान में सैकड़ों बटुकों ने सूर्य नमस्कार किया.
सूर्य नमस्कार के बाद बटुकों ने भगवान सूर्य को सामुहिक अर्ध्य देकर उनसे देश के उन्नति की कामना की. इस दौरान सभी ने गौ माता के रक्षा का संकल्प भी लिया. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अगुवाई में यह अद्भुत आयोजन हुआ.
डमरू के डम-डम आवाज से गूंजा घाट
इस आयोजन में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिन्दू पंचांग का विमोचन भी किया. शंकराचार्य घाट के अलावा दशाश्वमेध घाट पर भी गंगा आरती के जरिए नए साल का स्वागत किया गया. इस दौरान डमरू के डम डम की आवाज भी गूंजती रही. इसके अलावा अस्सी घाट पर भी विशेष हवन पूजन किया गया.
राजा विक्रमादित्य ने की थी शुरुआत
बता दें कि विक्रम संवत 2082 की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है. इस नए संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य है. विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने किया था. यह कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है. हिंदू नव वर्ष का पहला महीना चैत्र होता है.
व्रत त्योहारों की होती है गणना
हिंदू धर्म में पड़ने वाले सभी व्रत त्योहार की गणना भी इसी हिंदू पंचांग के आधार पर होती है. सूर्य और चंद्रमा के आधार पर इसकी गणना की जाती है.