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Farming Tips: कुसुम की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है. यह पूजा-पाठ में उपयोगी धार बनाने के लिए बाजार में महंगी बिकती है. मात्र 1-2 महीनों में तैयार होने वाली इस फसल से किसान अच्छी कमाई कर सकते है…और पढ़ें
Khushum ki kheti
मऊ- बड़े किसानों के साथ अब छोटे किसान भी कमर्शियल खेती की ओर देख रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक खेती में अब उस तरीके का मुनाफा नहीं रहा है जैसे पहले हुआ करता था. किसानों का एक दर्द ये भी है कि अब अनाज की उपज भी पहले की तरह नहीं रही है. इसी वजह से मऊ में कुसुम की खेती पहली बार हो रही है. जनपद की कबूतरी देवी पहली बार कुसुम की खेती कर और किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रही है.
कुसुम की खेती शुरू करने के पीछे कबूतरी देवी कहती है. इस खेती में लागत कम है लेकिन मुनाफा ज्यादा है. कबूतरी देवी आगे बताती है उन्हें कुसुम की खेती करने के बारे में उनके रिश्तेदार ने बताया और बीज भी उन्होंने ही दिया है. जिसे उन्होंने अपने खेत में लगाया. उसके बाद यह बीज इतना अच्छी तरह विकसित हुआ कि आज वह इसके माध्यम से कबूतरी देवी का अच्छा इनकम हो रहा हैं.
कुसुम के उपयोग और बाजार में मांग
कुसुम की खेती मुख्य रूप से धार बनाने के काम आती है, जिससे इसकी बाजार में ऊंची कीमत मिलती है. यह धार पूजा-पाठ में उपयोग की जाती है, जिससे इसकी मांग बनी रहती है और इसका मूल्य अधिक होता है.
कम समय में तैयार होने वाली फसल
यदि आप कुसुम की खेती करना चाहते हैं तो आपको ज्यादा समय नहीं देना पड़ेगा. मात्र एक से दो महीनों में यह फसल तैयार हो जाती है और इसे आसानी से बाजार में बेचा जा सकता है.
खेती में श्रम की आवश्यकता
कुसुम की खेती करने के लिए दो से तीन लोगों की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके फूलों को इकट्ठा करना मेहनत का काम है. यदि आप इस कार्य को व्यवस्थित रूप से कर लेते हैं, तो यह खेती आपके लिए एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है.