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Chaitra Navratri 2025: देवरिया के बाहरी इलाके में स्थित देवरही मंदिर श्रद्धा और रहस्यों का केंद्र है. यहां मां दुर्गा की प्राचीन मूर्ति है और चमत्कार होते हैं. शंख बाबा के अनुसार, यह स्थान दिव्य शक्तियों से भरा…और पढ़ें
1000 से भी अधिक वर्ष पुराना है ये माता का मंदिर।
हाइलाइट्स
- देवरही मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को घंटी अपने आप बजती है.
- वैज्ञानिक इस घटना को समझने में असफल रहे हैं.
- भक्त इसे देवी की कृपा मानते हैं.
Chaitra Navratri 2025: देवरिया जिले के बाहरी इलाके में स्थित देवरही मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि रहस्यों से भी भरा हुआ है. यह प्राचीन मंदिर घने पेड़ों और शांत वातावरण के बीच स्थित है, जहां भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. कहा जाता है कि इस मंदिर में मां दुर्गा स्वयं प्रकट हुई थीं और तभी से यहां चमत्कार होने लगे.
मंदिर की कहानी सदियों पुरानी है. स्थानीय लोगों के अनुसार, एक साधु को स्वप्न में मां दुर्गा ने दर्शन दिए और एक विशेष स्थान की ओर संकेत किया. जब गांव वालों ने वहां खुदाई की, तो मां की एक भव्य मूर्ति निकली. तभी से यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण किया गया और यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक बन गया.
प्राचीन काल में इस क्षेत्र को देवरण्य नामक जंगल के रूप में जाना जाता था. मान्यता है कि यह जंगल देवताओं और ऋषियों की तपस्थली था. यहां घने वृक्षों के बीच ऋषि-मुनि ध्यान और यज्ञ किया करते थे. इस स्थान को दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण माना जाता था और वन देवी की पूजा का विशेष महत्व था.
मंदिर प्रांगण में रहने वाले शंख बाबा, जो एक प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं, बताते हैं कि देवरही देवी को हजारों वर्ष पूर्व वन देवी के रूप में पूजा जाता था. उनका मानना है कि यह स्थान प्राकृतिक ऊर्जा से भरपूर है और यहां की आध्यात्मिक शक्ति आज भी जाग्रत अवस्था में है. श्रद्धालु जंगल में आकर वन देवी की आराधना करते और उनसे शक्ति एवं संरक्षण की प्रार्थना करते थे. समय के साथ यह स्थान एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल बन गया. एक और दिलचस्प बात शंख बाबा ने बताई कि मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को एक अद्भुत घंटी अपने आप बजती है. वैज्ञानिक इस घटना को समझने में असफल रहे हैं, लेकिन भक्त इसे देवी की कृपा मानते हैं.
यहां की सबसे बड़ी मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है. खासकर नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और अखंड ज्योति जलाते हैं. बातचीत में पता चला कि मंदिर परिसर में स्थित एक पुराना पीपल का पेड़ भी रहस्य से भरा था. कहते हैं कि उस पेड़ के नीचे बैठकर साधना करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती थी.
समय के साथ देवरही मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि चमत्कारों और आध्यात्मिक शक्तियों का केंद्र बन चुका है. यहां आने वाले हर श्रद्धालु को एक अनोखी शांति और शक्ति का अनुभव होता है, जो उन्हें दोबारा यहां खींच लाती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.