Last Updated:
Dharm Karm : गोमुख से निकलने के बाद गंगा यहीं पर करती है शयन.
विंध्याचल
मिर्जापुर. प्रयागराज में महाकुंभ में स्नान का विशेष महत्त्व है. पुराणों में वर्णित है कि प्रयागराज में अमृत की बूंद गिरी है. प्रयागराज के बाद विंध्यधाम में गंगा स्नान और मां विंध्यवासिनी के दर्शन से भी भक्तों को दुर्लभ फल की प्राप्ति होती है. गोमुख से निकलने के बाद गंगा विंध्य पर्वत पर शयन करती है. इसलिए विंध्याचल में गंगा स्नान के बाद मां विंध्यवासिनी के दर्शन पर भक्तों को विशेष फल मिलता है.
विंध्य धाम के कथावाचक पं. अनुपम महराज ने लोकल 18 को बताया कि प्रयागराज में अमृत की बूंद गिरी, इसलिए वहां स्नान करने पर दुर्लभ फल मिलता है. गंगा जहां-जहां पश्चिम वाहिनी हुई है, वहां पर भी स्नान करने से विशेष फल मिलता है. गोमुख से निकलने के बाद गंगा विंध्य पर्वत पर शयन करती है. ऐसा पुराणों में वर्णित है. मां विंध्यवासिनी धाम में आने से गंगा विशेष हो जाती हैं, जहां स्नान करने से भक्तों को विशेष पुण्य मिलता है.
दर्शन से निवारण
पं. अनुपम महराज के अनुसार, प्रयागराज स्नान करने के बाद भक्त विंध्यधाम में आते हैं तो तीन देवियों का अद्भुत दर्शन मिलेगा. मां विंध्यवासिनी के रूप में विराजमान महालक्ष्मी के दर्शन से भक्तों को सुख, वैभव और संपदा की प्राप्ति होती है. सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. कालीखोह में महाकाली खेचरी मुद्रा में विराजमान हैं. उनके दर्शन से दु:खों का निवारण होगा. जबकि महाकाली के दर्शन से तंत्र-मंत्र व जादू-टोना जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी. मां अष्ठभुजा विद्या की देवी हैं. उनके दर्शन से भाषा के साथ ही शिक्षा में सुधार होगा. महा सरस्वती के दर्शन से ज्ञान में वृद्धि होती है.
प्रभु राम ने किया था दर्शन
पं. अनुपम महराज कहते हैं कि आनंद रामायण में वर्णित है कि अयोध्या से चलने के बाद प्रभु राम प्रयागराज रुके थे. प्रयागराज दर्शन के बाद विन्ध धाम पहुंचकर गंगा स्नान किया और मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद दान किया. यहां पर दर्शन-पूजन के बाद प्रभु राम काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए रवाना हो गए.
Mirzapur,Uttar Pradesh
January 18, 2025, 22:42 IST