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दाह संस्कार को अंतिम संस्कार भी कहा जाता है. यह मृतक के शरीर को राख में बदलने की प्रक्रिया है. यह पारंपरिक समारोह मृत व्यक्ति की अंतिम विदाई होती है.
जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई
बलिया: कहते है “चंद्र टले सूर्य टले, टले जगत व्यवहार. पै दृढवत राजा हरिश्चंद्र का टले न सत्य विचार” बात पौराणिक काल की है जब सत्य के लिए राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी, बेटे और राजपाट हार कर खुद डोम के हाथों बिक गए. बड़ी मुसीबत आई लेकिन हरिश्चंद्र ने परंपरा को नहीं तोड़ा और अपने मृत बेटे के दाह संस्कार हेतु भी कर (टैक्स) की मांग की. बलिया में आज भी यह प्राचीन अद्भुत परंपरा कायम है. आइए जानते हैं…
प्रख्यात श्मशान महावीर घाट बलिया के महाब्राह्मण मनु पांडेय और बुद्धन बाबा ने बताया कि यहां पूरे जनपद से शव यानी मृत शरीर लाया जाता है. सबसे पहले महाब्राह्मण के द्वारा पूजन किया जाता है उसके बाद, डोम राजाओं का काम लगता है. उन्होंने कहा कि उनका जीवन गंगा के किनारे ही कटता है. दाह संस्कार को अंतिम संस्कार भी कहा जाता है. यह मृतक के शरीर को राख में बदलने की प्रक्रिया है. यह पारंपरिक समारोह मृत व्यक्ति की अंतिम विदाई होती है.
क्या है श्मशान से जुड़ी राजा हरिश्चंद्र की घटना?…
उन्होंने कहा कि सत्यवादी और महान दानवीर राजा हरिश्चंद्र के सामने जब उनकी पत्नी, मृतक पुत्र रोहिताश्व को लेकर आती हैं, तो डोम राजा का काम कर रहे हरिश्चंद्र अपनी पत्नी को भी नहीं बख्शते हैं. वह श्मशान के नियम को समझाते हुए अपनी पत्नी से कहते हैं कि श्मशान का कर (tax) दो तभी इसका अंतिम संस्कार होगा, लेकिन पत्नी के पास कुछ नहीं होता है तो वह अपना आंचल फाड़ कर कर (tax) के रूप में देती हैं. अंत में रोहिताश्व जीवित हो जाता है और विश्वामित्र के परीक्षा में हरिश्चंद्र सफल होते हैं.
अपने घर वालों को भी नहीं छोड़ते डोम राजा…
प्रख्यात श्मशान महावीर घाट बलिया के डोम राजा फहतु राम और विक्की ने बताया कि यह परंपरा एक संस्कार से जुड़ी हुई है. इसके बाद, कोई संस्कार नहीं होता है. इसे अंतिम संस्कार कहा जाता हैं. उन्होंने कहा कि “राजा हरिश्चंद्र के जमाने से चली आ रही इस परंपरा को आज भी वो लोग निभा रहे हैं. कहा कि “अगर उनके घर से भी कोई मृतक आता है तो ये लोग उसे भी नहीं छोड़ते हैं. पहले कर (tax) उसके बाद अंतिम यानी दाह संस्कार होता है.
क्या बोले दाह संस्कार करने आए लोग…
दाह संस्कार करने आए अखिलेश तिवारी और श्रीनिवास पांडेय ने बताया कि यह जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है. जो आया है उसको एक दिन जाना है. श्मशान पर आने के बाद महसूस होता है कि सब कुछ छोड़कर चले जाना है.
Ballia,Ballia,Uttar Pradesh
January 17, 2025, 10:03 IST