Last Updated:
Litchi Farming: यूपी के रायबरेली में किसान बड़े स्तर पर लीची की खेती करते आ रहे हैं. इससे किसानों को काफी मुनाफा भी होता है. वहीं, 25 सालों से कृषि के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले कृषि संस्थान के पूर्व प्रबंधक ने बंपर पैदावार के…और पढ़ें
रायबरेली: लीची के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है. यहां पर बड़े पैमाने पर लोग लीची की खेती करते हैं. लीची कि खेती किसानों के लिए बेहद मुनाफे वाली खेती होती है. क्योंकि लीची से कई ऐसे उत्पाद बनाए जाते हैं. जो बाजारों में बेहद महंगे दामों में बिकते हैं. ऐसे में लीची की खेती करने वाले किसानों को कुछ कृषि विशेषज्ञ द्वारा बताई गई इन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. जिससे उन्हें लीची कि उच्च गुणवत्ता के साथ ही अच्छी पैदावार मिल सके.
कृषि संस्थान के पूर्व प्रबंधक ने बताया
ऐसे में कृषि के क्षेत्र में 25 सालों का अनुभव रखने वाले खुशहाली कृषि संस्थान रायबरेली के पूर्व प्रबंधक अनूप शंकर मिश्रा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि लीची उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में पैदा होने वाला एक फल है. यह अपने अद्भुत सुगंध और पोषक तत्वों से भरपूर गुणों के कारण लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है. इसके पौधों में फूल आने और फल बनने के लिए उपयुक्त जलवायु, तापमान, आर्द्रता प्रकाश के साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी बेहद जरूरी होती है.
इसीलिए लीची की खेती करने वाले किसान इन जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखें. वह बताते हैं की लीची की खेती भारत के उत्तर प्रदेश बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में बड़े स्तर पर की जाती है. क्योंकि इसके लिए यहां की जलवायु अनुकूल मानी जाती है. लीची की खेती के दौरान साल में दो बार ज्यादा देखरेख की जरूरत पड़ती है. पहले जनवरी-फरवरी के बीच लीची के पेड़ पर फूल एवं फल आते हैं. दूसरा अप्रैल मई के बीच जब फल पककर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. अनूप शंकर मिश्रा बताते हैं कि लीची की खेती के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
- मौसम और तापमान: निम्न तापमान (न्यूनतम 10 से 15 डिग्री सेल्सियस अधिकतम 25 से 20 डिग्री सेल्सियस) और विशिष्ट मौसम ( ठंडा, गर्म और शुष्क) उपयोगी होता है.
- आद्रता : फूल आने के समय आद्रता (60- 70 %)के साथ वायु बगीचों में उचित वायु संचार परागण में सहायक होता है.
- उचित धूप: लीची के पौधे में फूल आने के दौरान पौधों को अच्छी धूप मिलना जरूरी होता है. क्योंकि इससे पौधों पर अधिक फूल आते हैं.
- मिट्टी की गुणवत्ता: मिट्टी कि बागवानी के लिए खेत की मिट्टी का pH मान 5.5 से 7.7 के बीच का होना चाहिए. बलुई दोमट मिट्टी होने के साथ खेत में जल निकासी कि भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
- सिंचाई व पोषक तत्व प्रबंधन: लीची के पौधों पर फूल आने से पहले पौधों को नाइट्रोजन,फास्फोरस एवं फल तुड़ाई के बाद पोटाश का छिड़काव करना चाहिए. पौधों में फूल आने से 2 महीने पहले से लेकर पुष्पन के दौरान सिंचाई नहीं करनी चाहिए. यदि मौसम शुष्क है, तो हल्की सिंचाई की जा सकती है, जिससे बाग में नमी बनी रहे.
- पौधों की रोपाई : लीची की बागवानी लगाते समय पौधों की रोपाई के लिए 10 × 10 मीटर की दूरी पर 1× 1× 1 आकार के गड्ढे की खुदाई करनी चाहिए. रोपाई के दौरान गड्ढों में गोबर की खाद, नीम की खली, सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करने से पौधा हरा भरा बना रहता है.