आनंद: भारत में विभिन्न प्रकार के पौधे और पेड़ पाए जाते हैं, जिनमें से कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होते हैं, जो हमारे पूर्वजों ने विभिन्न समस्याओं के उपचार के लिए इस्तेमाल किए. हालांकि, समय के साथ आयुर्वेदिक उपचार और इन पौधों का उपयोग कम होता जा रहा है. इसके साथ ही, कई स्थानों पर औषधीय पौधों की खेती भी बंद हो गई है. खासकर किसान जो उचित बाजार और मूल्य नहीं मिलने के कारण अन्य फसलों की ओर मुड़ जाते हैं. हालांकि, औषधीय पौधों की गुणवत्ता ऐसी है कि वे कई तरीकों से उपयोगी हो सकते हैं, तो आज हम ऐसे ही एक पौधे के औषधीय उपयोग के बारे में.
आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी औषधि
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विशाखा चौधरी के अनुसार, “हर औषधीय पौधे में कुछ गुण होते हैं, जिसके कारण इसे विभिन्न प्रकार की समस्याओं में उपयोग किया जाता है. इसी तरह असालिया का उपयोग आयुर्वेद में कई स्थानों पर किया जाता है. असालिया को अंग्रेजी में ‘Asylum’ और गुजराती में चंद्रशूर या हलीम के नाम से जाना जाता है. इस पौधे के हरे पत्ते सब्जी या सलाद के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जबकि इसके बीजों का इस्तेमाल दवाई के रूप में होता है.”
औषधीय गुण
इन बीजों में कैल्शियम, आयरन और विटामिन B1 की अधिक मात्रा होती है, जो महिलाओं में एनीमिया और विटिलिगो (सफेद दाग) जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक होते हैं. इसके अलावा, असालिया का उपयोग अस्थमा, पल्मोनरी टीबी, खांसी जैसी समस्याओं में भी किया जाता है. इसके साथ ही, बच्चों की वृद्धि में मदद करने के लिए शहद के साथ असालिया के बीजों का सेवन करने से बच्चों की लंबाई बढ़ सकती है और उनका विकास सही तरीके से होता है.
पशुओं के लिए भी फायदेमंद
डॉ. विशाखा चौधरी ने यह भी बताया, “असालिया मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होता है. अगर इसे गाय, भैंस को असालिया के बीज, बाजरा, तिल, मेथी, सुवा या गुड़ के साथ मिलाकर दिया जाए, तो यह एक टॉनिक की तरह काम करता है और पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है.”
1. रक्ताल्पता (Anemia): हलीम के काले बीजों में कैल्शियम, आयरन और विटामिन B1 की अधिक मात्रा होती है, जो महिलाओं में रक्ताल्पता को दूर करने में मदद करते हैं.
2. विटिलिगो (Vitiligo): हलीम के बीज सफेद दाग (Vitiligo) जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक होते हैं, जिससे त्वचा की रंगत (skin tones) में सुधार आता है.
3. सांस की समस्याएं: हलीम का उपयोग अस्थमा, पल्मोनरी टीबी और खांसी जैसी समस्याओं में किया जाता है, जिससे श्वसन प्रणाली (respiratory system) मजबूत होती है.
4. बच्चों की वृद्धि: शहद के साथ हलीम के बीजों का सेवन करने से बच्चों की लंबाई बढ़ सकती है और उनका शारीरिक विकास बेहतर होता है.
5. पशुओं के लिए फायदेमंद: हलीम के बीजों को पशुओं को दिए जाने से उनकी सेहत में सुधार होता है और यह एक बेहतरीन टॉनिक के रूप में काम करता है.
6. आयुर्वेदिक गुण: हलीम एक बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई तरह की बीमारियों का उपचार करती है और शरीर को मजबूत बनाती है.
हलीम के औषधीय गुणों को सही तरीके से उपयोग में लाकर हम ना केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि इसके आयुर्वेदिक लाभों से हम जीवन को और भी संजीवनी दे सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 14:25 IST
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