संजय यादव/ बाराबंकी: अब के समय में बाजारों में हरी सब्जियों की डिमांड बढ़ती जा रही है, जिसके कारण किसान अब देसी करेले के बजाय हाइब्रिड करेले की खेती पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि यह कम मेहनत में ही देसी करेले के मुकाबले अच्छा उत्पादन दे रहा है. हाइब्रिड करेला के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और इनके फल भी औसत आकार के मुकाबले काफी बड़े होते हैं. इसकी खेती भी देसी करेले की तरह ही की जाती है और इसकी पैदावार अन्य करेले क़े मुकाबले अधिक होती है. जिससे कई किसान हाइब्रिड करेले की खेती कर अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
करेले की खेती करने के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 20 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा करेले के खेतों में नमी बनाए रखना भी काफी जरूरी होता है. बाराबंकी जिले के फतेहपुर के रहने वाले युवा किसान अनूप सिंह ने करेले की खेती कर एक फसल से लाखों रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं.
करेले की खेती कर रहे युवा किसान अनूप सिंह ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह तीन-चार सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसमें भिंडी, लौकी, कद्दू, टमाटर, करेला आदि है. इसमें उन्हें अधिक फायदा भी हुआ है. इस समय हमने करीब तीन बीघे में करेले की खेती की है. जिसमें लागत करीब एक बीघे में 15 से 20 हजार रुपए आती है और मुनाफा करीब एक फसल पर 80 से एक लाख रुपये तक हो जाता है. क्योंकि करेला एक ऐसी सब्जी है, जो सब्जी होने क़े साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है. इसलिए इसकी डिमांड पूरे साल बाजारों में बनी रहती है.
इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की दो से तीन बार जुताई की जाती है. फिर खेत में मेड बनाकर करेले के बीजों की बुवाई की जाती है. जब इसका पौधा निकल आता है. फिर पूरे खेत में बांस और डोरी का स्टेक्चर तैयार कर की बेल को उसमें चढ़ा दिया जाता है. करेले की बेल इस पर फैल जाती है. जिससे करेला जब तैयार होता है, उसे तोड़ने में आसानी होती है और रोग लगने का खतरा भी कम रहता है. वहीं करेले की बुवाई करने के लगभग दो महीने बाद इसकी फसल शुरू हो जाती है. जिसे तोड़कर हम बाजारों में बेच सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 14:17 IST