सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के लिए रेलवे बदलाव कर रहा है। नई तकनीक की कपलिंग झटका लगने पर भी नहीं खुलेगी। यह कपलिंग तेज रफ्तार में भी खुलेगी नहीं। 130 की रफ्तार पर भी झटके नहीं महसूस होंगे।
रेलवे ने दो बोगियों को जोड़ने वाली कपलिंग बदलने की कवायद शुरू कर दी है। एलएचबी रेक की बोगियों को सेमी आटोमेटिक कपलिंग से जोड़ा जाएगा। यह कपलिंग तेज रफ्तार में भी खुलेगी नहीं। 130 की रफ्तार पर भी झटके नहीं महसूस होंगे। पूर्वोत्तर रेलवे में सेमी आटोमेटिक कपलिंग सिस्टम एलएचबी बोगियों में लगाने को लेकर योजना तैयार की जा रही है।
चलती ट्रेन के दो हिस्सों में बंटने की घटनाएं अक्सर होती हैं। यह हादसा दो बोगियों को जोड़ने वाली कपलिंग खुलने की वजह से होता है। लेकिन अब इस तरह के हादसे इतिहास बन जाएंगे। इसके लिए रेलवे ने बड़ा बदलाव शुरू किया है। जल्द ही सेमी आटोमेटिक कपलिंग सिस्टम लांच करने की तैयारी चल रही है। यह सिस्टम संरक्षा के साथ यात्रियों के लिए आरामदायक होगा। नए कपलिंग सिस्टम से बोगियां तेज रफ्तार या झटका लगने पर भी अलग नहीं होंगी और रुकने पर यात्रियों को भी झटका महसूस नहीं होगा। इसको लेकर रेलवे बोर्ड ने व्यवस्था लागू कर दी है। जल्द ही पूर्वोत्तर रेलवे के वर्कशाप में बोगियों की कपलिंग बदलने का काम शुरू हो जाएगा।
130 की रफ्तार पर भी नहीं महसूस होंगे झटके
यह तकनीक 130 किलोमीटर गति से चलने वाली ट्रेनों में भी कारगर रहेगी। वर्तमान में सीबीसी कपलर तकनीक से बोगियां आपस में जोड़ी जाती हैं जिससे ट्रेन के रुकने या चलने पर यात्रियों को झटका महसूस होता है। साथ ही कपलिंग ढीला होने पर खुलने का भी खतरा बना रहता है।
कई बार हो चुकी है बोगियों के अलग होने की घटनाएं
तेज रफ्तार में कई बार बोगियों के आपस में अलग होने की घटनाएं हो चुकी है। इससे जहां दुर्घटना की आशंका बनी रहती है वहीं ट्रेन घंटों लेट भी हो जाती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए रेलवे बोर्ड ने प्राथमिकता से तकनीक को जल्द से जल्द एलएचबी बोगियों में लगाने की पहल की है।
सबसे अधिक खतरा पारंपरिक कोच में
कपलिंग खुलने का सबसे अधिक खतरा पारंपरिक बोगियों में है। दरअसल, यहां हुक पर बोगियों की कपलिंग कराई जाती है। ऐसे में इसके अक्सर खुलने की आशंका बनी रहती है।