झांसी: हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का झांसी से विशेष रिश्ता रहा है. उनका पूरा जीवन झांसी में ही बीता है. शहरवासी उन्हें दद्दा ध्यानचंद के नाम से जानते हैं. ध्यानचंद के पिता सुमेशर दत्त प्रयागराज से यहां आकर बस गए थे. झांसी के हीरोज ग्राउंड में ही मेजर ध्यानचंद ने हॉकी खेलना शुरू किया था. उनकी पुत्रवधु डॉ. मीना उमेश ध्यानचंद बताती हैं कि हीरोज ग्राउंड की पथरीली जमीन पर ही उन्होंने हॉकी के सभी ट्रिक सीखे थे.
घर में संजोई गई हैं स्मृतियां
पुत्रवधु डॉ. मीना उमेश ध्यानचंद ने बताया कि हीरोज ग्राउंड के पास ही दद्दा ध्यानचंद का घर था. उस घर को आज भी उसके मूल रूप में संरक्षित रखा गया है. वहीं, जिस कमरे में ध्यानचंद अपने अतिथियों से मिला करते थे, उसे अब एक म्यूजियम का रूप दे दिया गया है. इस कमरे में उनसे जुड़ी तमाम चीजें आपको देखने के लिए मिल जाएंगी.
ध्यानचंद की हॉकी से लेकर वह तलवार भी यहां रखी हुई है, जिसे वह सैनिक के तौर पर इस्तेमाल करते थे. इसके साथ ही उनके सभी मेडल और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिया हुआ पद्म भूषण भी इसी कमरे में मौजूद है.
स्मृतियों को सहेज कर रखा है परिवार
मेजर ध्यानचंद का पूरा परिवार उनकी स्मृतियों को सहेजने का काम करता है. उनके बेटे अशोक ध्यानचंद खुद हर चीज का ख्याल रखते हैं. मेजर ध्यानचंद की पुत्रवधु डॉ. मीना उमेश ध्यानचंद ने बताया कि पूरा परिवार उनकी स्मृतियों को सहेज कर रखता है. उनसे जुड़ी हर चीज को संभाल कर रखा गया है. हम चाहते हैं कि स्कूल के बच्चे और तमाम लोग इन स्मृतियों को देखें. शायद किसी को हॉकी खिलाड़ी बनने की प्रेरणा मिल जाए.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 12:00 IST