Success Story, Sheetal Devi Story: 16 साल की शीतल देवी के हाथ नहीं है. उसके बाद भी उन्होंने कभी हौसला नहीं हारा. शीतल देवी बिना हाथों के प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया की पहली और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज हैं. अभी पेरिस पैरालंपिक में आर्चरी के क्वालिफिकेशन राउंड में उन्होंने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है, जिसके बाद वह एक बार फिर चर्चा में हैं. आइए जानते हैं कि कैसे बिना हाथों वाली यह लड़की तीरंंदाजी के दुनिया की खिलाड़ी बन गई.
कहां की रहने वाली हैं शीतल
शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू कश्मीर के एक छोटे से गांव किश्तवाड़ में हुआ. शीतल देवी के पिता किसानी करते हैं. उनकी मां बकरियां चराती हैं. शीतल देवी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं. बताया जाता है कि उन्हें जन्मजात फोकोमेलिया नाम की बीमारी है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तीरंंदाजी की दुनिया में जो मुकाम बनाया वह विरले लोग ही बना पाते हैं.
कैसे करती हैं तीरअंदाज
शीतल देवी की तीरंंदाजी करने का तरीका भी सबसे अनूठा है. उनके पास हाथ नहीं तो क्या, वह पैरों से ही तीरंदाजी करती हैं. शीतल देवी कुर्सी पर बैकर अपने दाहिने पैर से धनुष उठाती हैं और फिर दाहिने कंधे से डोरी खींचती हैं. अपने जबड़े की ताकत से तीर छोड़ती हैं. उनका यह कौशल देखकर लोग हैरान परेशान रह जाते हैं कि एक लड़की इस तरह कैसे तीरंंदाजी कर लेती हैं. शीतल देवी ने दुनिया को दिखाया है कि परों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है.
15 साल की उम्र तक नहीं देखा था धनुष वाण
दुनिया को तीरअंदाजी दिखाने वाली शीतल देवी किसान परिवार में जन्मीं. बचपन में वह बहुत कुछ नहीं देख पाई. कहा जाता है कि 15 साल की उम्र तक उन्होंने धनुष बाण तक नहीं देखा था. जब उन्हें बिना हाथों के पेड़ पर चढ़ते हुए देखा गया. उसके बाद लोगों को उनकी प्रतिभा का अंदाजा लगा. वर्ष 2022 में किसी के कहने पर वह जम्मू के कटरा स्थित श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर पहुंची. दरअसल, यह इतना आसान नहीं था. यह खेल परिसर भी उनके घर से 200 किमी दूर था. वहां उनकी मुलाकात अभिलाषा चौधरी और कोच कुलदीप वेदवान से हुई. बस यहीं से शीतल देवी की जिंदगी बदल गई. इन दोंनो कोच ने शीतल को तीरंंदाजी से न केवल परिचित कराया, बल्कि उनकी ट्रेनिंग भी शुरू करा दी. वह कटरा के एक ट्रेनिंग शिविर में चली गईं. उसके बाद तो वह लगातार अपने करियर में नई ऊचाइयां गढ़ रही हैं.
पैरा गेम्स में जीते दो गोल्ड
शीतल देवी ने एशियाई पैरा गेम्स 2023 में काफी बढिया प्रदर्शन किया था. उन्होंने चीन के हांगझाऊ में हुए एशियाई पैरा खेलों में दो गोल्ड मेडल समेत तीन मेडल जीते थे. वह एक ही सेशन में दो गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी बनी थीं. शीतल को इस उपलब्धि के लिए अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 10:27 IST