दुद्धी (पिंटू अग्रहरि)
दुद्धी। दुद्धी कस्बे के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस तथा जीआईसी खेल मैदान में स्थित बरगद के पेड़ पर आज हजारों महिलाओं ने फेरे लेकर पति के दीर्घायु होने का कामना किया।इसके बाद सभी महिलाएं कथा सुन कर पूजा-अर्चना किया।बताते चले कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं।इस दिन भगवान विष्णु और वट वृक्ष की पूजा करने से ना सिर्फ पति को दीर्घायु मिलती है, बल्कि घर में सुख-संपन्नता भी बढ़ती है।पूजा कराने वाले पुरोहित सुरेंद्र मिश्रा व अमरेश मिश्रा बताते है कि जेष्ठ मास की अमावस्या के दिन सावित्री ने अपने सतीत्व के बल पर पति सत्यवान को यमराज के हाथों बचा लिया था।कथाओं में सावित्री का नाम एक ऐसी स्त्री के रूप में लिया जाता है।जिन्होंने पति की उन दुर्दिन परिस्थितियों में सेवा किया जब उसे मालूम था कि उसके पति की कुछ ही दिनों में मृत्यु हो जाएगी।लेकिन अपने प्रण, तपस्या व सेवा के बल पर एक साधारण महिला ने यमराज को हराकर अपने सतित्व का परिचय दिया व अपने सुहाग की रक्षा की।महिलाएं आमतौर पर कच्चे सूत की आडी को वटवृक्ष में 108 बार लपेटने और फेरी लगाने का विधि पूर्वक किया।कुछ बुजुर्ग महिलाएं और ब्राह्मणों ने बताया कि वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को काले नीले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए।इस दिन ऐसे रंग को अशुभ माना जाता है।इस रंग की चूड़ियां भी ना पहनें साथ ही पूजा में नीले रंग के फूल भी अर्पित नहीं करने चाहिये।यदि आप पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं तो यह व्रत ससुराल की बजाए मायके में रहकर ही करें।यदि संभव हो तो पूजा का सामान भी मायके जाकर ही खरीदें।यही नही इस दिन ब्रतधारी महिलाओं को बेड या पलँग पर भी नही सोना चाहिए।वहीं सामाजिक कार्यकर्ता पंकज अग्रहरि बुल्लू के द्वारा वट सावित्री की पूजा हेतु व्रत धारी महिलाओं के लिए टेंट और प्रसाद की व्यवस्था की गई थी।टेंट वगैरा लग जाने से महिलाओं को इस ताप्ती धूप में काफी राहत मिली।