उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में अब रंगपंचमी के दिन श्रद्धालु अपने साथ रंग नहीं ले जा सकेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, होली के दिन भस्म आरती के समय आग लगने की घटना के बाद प्रशासन ने कड़ा फैसला लिया है। इस संबंध में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने आदेश जारी किया है कि अब सुप्रीम कोर्ट से जारी गाइडलाइन के मुताबिक ही पर्व मनाया जाएगा। वहीं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति उत्सव के लिए टेसू (पलाश) के फूलों से बने हर्बल रंग 30 अप्रैल को पड़ रही रंगपंचमी पर उपलब्ध कराएगी, और केवल पंडे-पुजारी ही गर्भगृह में प्रतीकात्मक होली खेलेंगे।
‘गुलाल का प्रयोग बरसों से होता रहा है, लेकिन…’
बता दें कि महाकाल मंदिर में सोमवार को भस्म आरती के दौरान आग लगने से सेवकों समेत 14 पुजारी झुलस गये थे। इस बारे में बयान देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि महाकालेश्वर मंदिर में होली पर भस्म आरती के दौरान गुलाल का प्रयोग बरसों से किया जाता रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से इस बार गुलाल उड़ाए जाने के दौरान गुलाल गिरने से आरती की थाली पलटी और इससे लगी आग में मंदिर में मौजूद पुजारी और सेवक गण झुलस गए। उन्होंने कहा था कि इस आशंका की जांच की जाएगी कि गुलाल में अभ्रक या कोई रसायन होने से तो आग नहीं भड़की।
‘पूजा की थाली में जलते कपूर पर गिरा था गुलाल’
घटना के बारे में जानकारी देते हुए उज्जैन के कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा था कि आग सुबह करीब 5 बजकर 50 मिनट पर मंदिर के गर्भगृह में लगी। उन्होंने कहा था, ’14 पुजारी झुलस गए। कुछ का इलाज यहां जिला अस्पताल में किया जा रहा है, जबकि 8 ने इंदौर में इलाज की मांग की। घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। यह जांच जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना और अपर कलेक्टर अनुकूल जैन करेंगे। वे तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेंगे। आग उस समय लगी जब गुलाल पूजा की थाली पर गिर गया, जिसमें जलता हुआ कपूर था। बाद में यह फर्श पर फैल गया जिससे आग फैल गई।’