विंढमगंज (वीरेंद्र कुमार)
विढमगंज। हरतालिका तीज का त्योहार महिलाओं के लिए बेहद खास होता है।ये व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यानी आज (मंगलवार) को मनाया जा रहा है। ब्रह्ममुहूर्त में उठ महिलाएं अपने व्रत की तैयारी में लग गई।सुबह से ही मंदिरों में महिलाओं की चहल पहल नजर आने लगी।तीज का ये पर्व महिलाओं को बहुत प्रिय होता है।इस दिन वह निर्जला रहकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।क्षेत्र में स्थित मां काली मंदिर व हनुमान मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी व आनंद कुमार द्विवेदी द्वारा क्षेत्र की महिलाओं को आज हरितालिका व्रत पर कथा के दौरान कहा कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।पौराणिक कथा के अनुसार यह हरतालिका व्रत कथा भगवान शिव ने ही माता पार्वती को सुनाई थी।भगवान शिव ने इस कथा में मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था।उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया और 108वी बार पर्वतराज पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद उनकी यह मनोकामना पूर्ण हुई।
माता पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप कर रही थी।माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी इसलिए उनकी सखियां माता पार्वती का हरण कर उन्हें दूर जंगल में ले गई और फिर दोबारा वे कठिन तप में तल्लीन गई।इस व्रत को ‘हरितालिका’ इसलिये कहा जाता है क्योंकि माता पार्वती की सखियां उन्हें पिता और प्रदेश से हर कर जंगल में ले गयी थी।‘हरित’ अर्थात हरण करना और ‘तालिका’ अर्थात सखी।इस प्रकार भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप व व्रत करने के बाद भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।पर्वतराज हिमालय ने भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न कराया।व्रत सुन रही महिलाओं में उत्तम देवी, प्रमिला देवी, शांति देवी, सीमा देवी, सुनीता देवी, कौशल्या देवी, रीना देवी, अनीता देवी, सुमित्रा देवी, पार्वती देवी, सुनैना देवी, संगीता देवी, रूपा देवी, माधुरी देवी, मधु देवी, दिलवासी देवी इत्यादि महिलाएं शामिल थी।