म्योरपुर (प्रभात मिश्रा)
– आदिवासी वनवासी महासभा की बैठक में जन जागृति अभियान चलाने का निर्णय
म्योरपुर। मोदी सरकार द्वारा बनाए वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 से आदिवासियों में गहरा आक्रोश है।आदिवासियों ने फैसला लिया है इसके खिलाफ जनता में जनजागृति अभियान चलाया जाएगा।यह फैसला आदिवासी वनवासी महासभा की रासपहरी स्थित कार्यालय पर हुई बैठक में लिया गया।बैठक में वक्ताओं ने कहा की सरकार द्वारा बनाया गया कानून आदिवासी और पर्यावरण विरोधी है।यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की सभी विपक्षी पार्टियों के विरोध और आदिवासी समाज की आपत्ति के बावजूद आदिवासी विरोधी इस कानून पर हस्ताक्षर कर दिया।यह कानून वन अधिकार कानून 2006 को विफल कर देगा और आदिवासियों के हाथों में आई हुई पुश्तैनी जमीनों को छीनने का काम करेगा।वक्ताओं ने कहा कि नया वन संरक्षण संशोधन बिल कारपोरेट घरानों को वन भूमि उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाया गया है।आदिवासी और पर्यावरण विरोधी इस कानून को मोदी सरकार ने हड़बड़ी में लागू किया है।सरकार ने संसद के बहुतायत सदस्यों की राय के बावजूद इसे स्थाई समिति को भेजने की जगह भाजपा की बहुमत वाली संसदीय समिति को भेजा। जिसने बिना किसी स्टेक होल्डर से बात किए और न सभी पार्टियों की राय लिए बिल को संसद में पेश करने के लिए कहा। यह भी गौरतलब है कि सरकार के खुद बनाए हुए एससी-एसटी कमीशन ने इस बिल का विरोध किया था और कहा था कि यह आदिवासी अधिकारों पर बड़े पैमाने पर हमला करेगा, लेकिन उसकी आपत्ति को भी सरकार ने नहीं सुना।यही नहीं इस बिल से उत्तर पूर्व के मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे वनाच्छादित राज्यों में बड़े पैमाने पर वनों का नुकसान होगा।सरकार ने वनों के संरक्षण के लिए 1996 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोदावरमन केस में दिए आदेशों को भी इस कानून के जरिए दरकिनार कर दिया।ऐसी स्थिति में आदिवासियों को इस कानून से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा और 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के दिन इसके विरोध में सम्मेलन किया जाएगा।बैठक का संचालन आदिवासी वनवासी महासभा के कृपाशंकर पनिका ने किया। बैठक में राजेंद्र प्रसाद गोंड, शिव प्रसाद गोंड , मंगरु प्रसाद श्याम, विरझन गोंड, मनोहर गोंड, रामा गोंड, महावीर गोंड, इंद्रदेव खरवार, आलोक गोंड, रामविचार गोंड, सविता गोंड, गुंजाइश गोंड, रंजू देवी आदि मौजूद रहे।