रेणुकूट (अमिताभ मिश्रा)
– कागजी आंकड़ों में विकास का दावा, जमीनी हकीकत बदतर
– मानक से वितरित गुणवत्ताहीन हो रहा कार्य, जांच की मांग
रेणुकूट। ‘तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है’।मशहूर शायर अदम गोंडवी की यह लाइनें रेणुकूट नगर पंचायत द्वारा कागजी विकास की बाजीगरी पर सटीक बैठती है। नगर पंचायत के पुनर्गठन के बाद विकास से ज्यादा भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के विवादों से चर्चित रहने वाला रेणुकूट निकाय आज भी जनहित की छवि बना पाने में असफल साबित हो रहा है।समाजसेवी अजय राय कहते हैं कि कागजी आंकड़ों से ही रेणुकूट को आदर्श नगर पंचायत बनाने की कवायद चल रही है।सरकार द्वारा जनहित के लिए दिए जा रहे भारी-भरकम राशि का खुलकर दुरुपयोग किया जा रहा है।मुर्धवा खाड़पाथर को शामिल करने के बाद बड़े भूभाग वाले नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास के पात्रों की सूची बनाए जाने के बाद भी जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते पात्र आवासीय सुविधाओं से वंचित हैं।इसके बावजूद अधिशासी अधिकारी दूसरे विभागों द्वारा किए जा रहे अग्रेतर कार्रवाई का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि अधिशासी अधिकारी के अनुसार सीमा विस्तार से पूर्व निकाय में लाभार्थियों के पास स्वयं की भूमि नहीं रही है तो ऐसे में हज़ारों लोग अब तक कहां निवास करते चले आ रहे हैं।जब स्थानीय निवासियों के पास अपनी भूमि नहीं है तो उस इलाके में विकास के नाम पर लाखों करोड़ों कैसे खर्च किए गए।मुर्धवा खाड़पाथर विस्तारित क्षेत्र में शामिल होने के बाद शासन द्वारा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर योजना के अंतर्गत भारी-भरकम राशि अवमुक्त किया गया।इस मद का धन खर्च होने के बाद भी इलाके के लोग विकास का बांट जोह रहे हैं।विशेष योजना के अंतर्गत कराए गए कार्यों की जांच कराया जाना चाहिए ताकि धन के दुरुपयोग की सच्चाई सामने आ सके।कुछ वर्ष पहले निराश्रित पशुओं के लिए लाखों की लागत से बनाया गया गोवंश आश्रय स्थल जीर्ण अवस्था में पहुंच गया है।यहां बाहरी लोग निवास करने लगे हैं जबकि यह स्थल बड़े भूभाग पर लाखों की धनराशि खर्च कर नगर पंचायत द्वारा कुछ वर्ष पूर्व बनवाया गया है।अजय राय ने दावा किया कि सन् 2008 में नगर पंचायत के पुनर्गठन के बाद अब तक खर्च की गई धनराशि कराए गए कार्यों से कई गुना अधिक है।जांच से दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है।समाजसेवी अखिलेश यादव कहते हैं जब भी निकाय में हो रहे मनमानियों व भ्रष्टाचार पर सवाल उठाया जाता है।अधिकारी शिकायतकर्ता को फर्जी मुकदमों में फंसाना चाहते हैं।मुख्यमंत्री पोर्टल पर किए गए शिकायत के निस्तारण पर उल्टे शिकायतकर्ता को ही दोषी बताया जाता है।तमाम उपक्रम कर डराने धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जाता।वर्तमान समय में निकाय के अधिकारी व कर्मियों की कार्यप्रणाली देखकर लगता है कि उन्हें शासन का डर बिल्कुल नहीं है।नगर को साफ सुथरा रखने के लिए प्रतिमाह लाखों का खर्च दिखाया जाता है जबकि जमीनी हकीकत अलग है।मुख्यमार्ग के किनारे एवं वन भूमि पर वार्डों के कूड़े को खुलेआम फेंके जाने की शिकायत पर उल्टे शिकायतकर्ता को ही झूठा साबित करने के लिए निकाय प्रशासन जी जान से जुट जाता है। नगर के कूड़े कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने के लिए हथवानी गांव में स्थापित एमआरएफ सेंटर को संचालित दिखाया जाना हास्यास्पद है।इस सेंटर में मशीनों को चलाने के लिए अब तक विद्युत कनेक्शन तक नहीं लिया गया।वहीं स्वच्छ भारत मिशन नगरीय के एक अधिकारी के हवाले से सेंटर से आय अर्जित किया जाना दर्शाया गया है।जबकि सरकारी पोर्टल पर शिकायत करने पर मैनुअली संचालित होना बताया गया।यानी अत्याधुनिक मशीन को चारा मशीन की तरह हाथ से चलाया जा रहा है।इससे स्पष्ट होता है कि नगर पंचायत रेणुकूट में जमीनी विकास से कई गुना ज्यादा कागजी आंकड़ों में विकास हुआ है।जिसकी निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग रोका जा सके।