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देवरिया जिले में जयराम कुशवाहा की चाय की दुकान सादगी, स्वाद और अपनत्व का अनोखा मेल है. बिना चीनी की हर्बल चाय, देसी पकवान और लोकसंस्कृति से भरपूर यह दुकान अब स्थानीयों और पर्यटकों की पसंद बन चुकी है.
“गुड़वाला लख्ठा और टमाटर की पकोड़ी: जयराम चाय वाले की सादगी भरी स्वाद यात्रा”
देवरिया- देवरिया जिले के खुखुन्दू से लगभग 3 किलोमीटर दूर, शहर की ओर जाते रास्ते पर एक छोटी-सी चाय की दुकान है, जो अब किसी परिचय की मोहताज नहीं. दो ईंटों से शुरू हुई यह दुकान आज सैकड़ों दिलों का ठिकाना बन चुकी है. इस दुकान के संचालक हैं जयराम कुशवाहा, जिनकी उम्र अब लगभग 65 से 70 वर्ष है. सफेद झक दाढ़ी, सिर पर गमछा और हाथ में केतली लिए जयराम जी की मुस्कान आज भी वैसी ही गर्मजोशी लिए है, जैसी पहले दिन थी.
स्वाद और सेहत का मेल
यहां की सबसे खास बात है बिना चीनी वाली चाय. तुलसी, अदरक, काली मिर्च और कभी-कभी नींबू की बूंदें डालकर बनाई गई यह चाय न केवल स्वाद में अनूठी है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है.
लकठा, पेड़ा और पकौड़ी, देसी स्वाद का खजाना
इस दुकान पर मिलने वाला गुड़ वाला लकठा, देसी पेड़ा और टमाटर की पकौड़ी भी ज़बरदस्त लोकप्रिय हैं. लकठा की सादगी और पेड़े की मिठास में आज भी गांव की मिट्टी की सौंधी खुशबू रची-बसी है.
क्यों है यह दुकान खास?
‘कड़वाहट और मिठास का संतुलन कहीं और नहीं’ दुकान पर चाय पीने आए एक ग्राहक बताते हैं कि पिछले दस साल से यहां की चाय पी रहा हूं. बिना चीनी की चाय में जो संतुलन है, वो लाजवाब है. लकठा खाने से गांव की यादें ताजा हो जाती हैं. वहीं एक छात्रा बताती हैं कि
यहां की टमाटर की पकौड़ी में इतना स्वाद होता है कि एक खाकर रूका नहीं जाता है. वहीं इस दुकान के लकठा की बात करें, तो लोग इसके खासे दीवाने हैं.
एक अनुभव है जयराम चाय की दुकान
बिना किसी बड़े नाम या तामझाम के, जयराम जी की यह दुकान देवरिया के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा बन चुकी है. यहां पर चाय एक बहाना है, असल चीज जो है वह अपनापन, सादगी और उस मिट्टी की सौंधी खुशबू, जो हर घूंट में महसूस होती है.