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PIlibhit News : पीलीभीत में दुकानदारों को डीएम ने चेतावनी दी है कि वे किसी भी भारतीय मुद्रा को अस्वीकार नहीं कर सकते. ऐसा करना राष्ट्रीय मुद्रा का अपमान है और भारतीय कानून के तहत अपराध है, जिसमें 7 साल से आजीवन…और पढ़ें
सांकेतिक फोटो
हाइलाइट्स
- पीलीभीत में दुकानदारों को सभी मुद्रा स्वीकारने की चेतावनी दी गई.
- किसी भी मुद्रा को अस्वीकार करना गैरकानूनी है.
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत सजा का प्रावधान है.
पीलीभीत. कहा जाता है रुपया इस जमाने की सबसे ताकतवर चीज़ है. लेकिन कई बार गलत धारणा के चलते कई बार कुछ सिक्कों का भी कुछ मोल नहीं रह जाता है. ऐसा ही पीलीभीत में देखने को मिल रहा था. लेकिन हाल ही में डीएम ने आदेश जारी कर सभी दुकानदारों को चेतावनी दी है.
दरअसल, कई शहरों में किसी खास करेंसी नोट या फिर सिक्के को लेकर कोई न कोई अवधारणा होती है और उसे स्थानीय तौर पर दुकानदारों के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है. अगर पीलीभीत की बात करें तो यहां कई स्थानीय दुकानदा द्वारा एक रुपए के छोटे सिक्के व बिना रुपए (₹) के चिन्ह वाले 10 के सिक्के को स्वीकार नहीं किया जाता. वहीं बाजार की कई दुकानें ऐसी हैं जहां करेंसी नोटों का हार बनाकर बेचा जाता है, यह प्रथा लंबे से प्रचलित है.
नहीं कर सकते किसी नोट को लेने से इंकार
बीते दिनों पीलीभीत के अधिवक्ता पीयूष शुक्ला ने इन गतिविधियों को राष्ट्रीय मुद्रा का अपमान बताते हुए पीलीभीत जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह को शिकायती पत्र सौंपा था. जिस पर संज्ञान लेते हुए डीएम ने वरिष्ठ कोषाधिकारी पीलीभीत से आख्या मांगी थी. जिसमे शासकीय अधिवक्ता ने विधिक राय देते हुए बताया गया था कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी सूरत में भारत सरकार द्वारा जारी मुद्रा को अस्वीकार करने व उसका विक्रय करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है. ऐसे में जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह की ओर से सार्वजनिक सूचना जारी कर सभी को चेतावनी जारी की गई है. सूचना में शासकीय अधिवक्ता की विधिक राय के अक्षरशः पालन की बात कही गई है. ऐसे में कोई भी दुकानदार किसी भी मुद्रा को अस्वीकार नहीं कर सकता.
क्या कहता है नियम?
भारतीय कानून के अनुसार अगर कोई दुकानदार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी भी प्रकार की मुद्रा को लेने से इनकार करता है तो उसके राजद्रोह की श्रेणी में शिकायत की जा सकती है. क्योंकि ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत अपराध है. जिसमें 7 वर्षों से आजीवन कारावास व जुर्माने का प्रावधान है.