लखीमपुर खीरी में RSS प्रमुख मोहन भागवत।
लखीमपुर खीरी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के कबीरधाम, लखीमपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का उद्देश्य विश्व को सुख, शांति और ज्ञान प्रदान करना है। उन्होंने विज्ञान की प्रगति और इसके दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए भारतीय संस्कृति और मूल्यों की महत्ता पर जोर दिया। RSS प्रमुख ने पर्यावरण विनाश का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने अतीत में ऐसी व्यवस्था बनाई थी, जहां समृद्धि थी, लेकिन प्रकृति का दोहन नहीं हुआ।
‘हमने आध्यात्मिकता दी, विविधता का सम्मान सिखाया’
भागवत ने कहा, ‘विज्ञान के कारण प्रगति बहुत हुई, सुख-साधन बढ़े, लेकिन मानव के पास इतने शक्तिशाली हथियार हैं कि वह पृथ्वी को तीन बार नष्ट कर सकता है। दुर्भाग्यवश, इनका उपयोग कब करना है और कब नहीं, इसका विवेक हमारे पास नहीं है। हमारे पूर्वज छोटी नौकाओं और पैदल यात्रा कर दुनिया के कोने-कोने में गए। उन्होंने वहां सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान का प्रसार किया, लेकिन न किसी का देश जीता, न धर्म परिवर्तन कराया। हमने आध्यात्मिकता दी और विविधता का सम्मान सिखाया।’
‘दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है’
भागवत ने भारत की एकता पर बल देते हुए कहा, ‘हम एक राष्ट्र हैं, एक माता, भारत माता के पुत्र हैं। भाषा, प्रांत, उपासना और रीति-रिवाज भले ही अलग हों, लेकिन हम एक हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय होने का मतलब केवल भारत में रहना नहीं, बल्कि उन मूल्यों को जीना है, जिनके लिए भारत विश्व में जाना जाता है। RSS प्रमुख ने विश्व की अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। लोग मानते हैं कि सुख और समाधान का रास्ता भारत से ही मिलेगा।’
‘हमारा संविधान भी भावनात्मक एकता की बात करता है’
भागवत ने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘पिछले 2000 वर्षों में दुनिया ने भौतिक सुख की खोज की, लेकिन भारत ने सिखाया कि सच्चा सुख संतोष और आध्यात्मिकता में है।’ उन्होंने भारतीय समाज से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में नैतिकता, सत्य और संतोष को अपनाएं, ताकि भारत पुनः विश्व गुरु बन सके। भागवत ने कहा, ‘हमारा संविधान भी भावनात्मक एकता की बात करता है। यह भावना यही है कि हमारी विविधता के बावजूद हम एक हैं।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को फिर से ऐसी संस्कृति का वाहक बनना होगा, जो विश्व को दिशा दे।