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Pilibhit News : पीलीभीत में तेज रफ्तार गाड़ियों से लगातार जंगली जानवरों की मौत हो रही है. हाल ही में एक तेंदुए की मौत की वजह भी तेज रफ्तार ही थी. इन सब के बावजूद वन विभाग के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं. हालत…और पढ़ें
जंगल मार्ग
हाइलाइट्स
- तेज रफ्तार पिकअप ने तेंदुए को मारी टक्कर, तेंदुए की मौत.
- पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में साइन बोर्ड की कमी, गति सीमा का पालन नहीं.
- वन विभाग जल्द लगाएगा साइन बोर्ड, तेज रफ्तार वाहनों पर लगेगी रोक.
पीलीभीत. शनिवार शाम एक तेज रफ़्तार पिकअप ने सड़क पार कर तेंदुए को टक्कर मारी थी. टक्कर के बाद लगभग 300 मीटर तक उसे घसीटा भी था. दर्दनाक हादसे में तेंदुए की मौत हो गई. लेकिन बड़ा सवाल है कि जंगल में वहां इतनी तेज रफ्तार में कैसे चल रहा था. जिम्मेदारों ने रस्म अदायगी के सिवाए इस दिशा में क्या कदम उठाए हैं.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के साल के घने जंगलों को वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व का दर्जा दिया गया था. टाइगर रिज़र्व के गठन के बाद पर्यटन को भी रफ्तार मिली लेकिन 10 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जिन नियम कायदों का सख़्ती से पालन कराया जाना चाहिए था उनके नाम पर सिर्फ रस्म अदायगी की जाती है.
मोबाइल देखने में मशगूल रहते है गार्ड
अगर वर्तमान की बात करें तो वन विभाग की ओर पीलीभीत-माधोटांडा मार्ग पर 2 बैरियर लगाए गए हैं. पहला माला रेंज व रिछौला चौकी पर स्थित है वहीं बैरियर दूसरा मथना में मौजूद है. कहने को तो दोनों बैरियर पर वनकर्मी मौजूद रहते हैं, लेकिन अपने अपने कामों या फिर मोबाइल देखने में मशगूल. कायदे में तो जंगल से गुजरने वाली इस सड़क पर कुछ-कुछ दूरी पर गति सीमा की जानकारी के लिए साइन बोर्ड लगे होने चाहिए, लेकिन लगभग 8 किलोमीटर लंबे और कोर फॉरेस्ट एरिया से गुजर रहे इस मार्ग पर एक भी साइन बोर्ड मौजूद नहीं है.
क्या 2 बैरिकेड्स लगाने से खत्म होगी जिम्मेदारी?
हालांकि शनिवार शाम हुए हादसे के बाद मार्ग पर 2 बैरिकेड्स रख रस्म अदायगी ज़रूर कर दी गई है. इतना ही नहीं संबंधित रेंज स्तरों पर तेज रफ्तार वाहनों को लेकर शायद ही कोई कड़ी कार्रवाई की गई हो. बीते वर्षों में इस मार्ग पर स्पीड डिटेक्टर लगाकर जुर्माने लगाने के दावे तो किए गए लेकिन सभी हवा हवाई साबित हुए. नतीजतन जिस मार्ग पर से गुजरने की अधिकतम गति सीमा 30 किलोमीटर प्रतिघंटा है उसपर से अधिकांश वाहन 80-100 KMPH के बीच वाहन दौड़ाते हैं.
कब लगेगा साइन बोर्ड?
तेज रफ़्तार वाहन वन्यजीवों के लिए किसी काल से कम साबित नहीं होते. इस मार्ग पर आए दिन छोटे से लेकर बड़े वन्यजीव हादसों का शिकार होते हैं. हालांकि देखना अहम होगा कि इतने बड़े व दर्दनाक हादसे के बाद वन विभाग इस दिशा में क्या रुख अपनाता है.पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि साइन बोर्ड लगाने की प्रक्रिया जल्द ही अमल में लाई जाएगी.