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विजय अमृतराज ने 1987 के डेविस कप सेमीफाइनल में डॉक्टर्स की मना करने के बावजूद खेला और जीत हासिल की. वे विंबलडन व यूएस ओपन के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने.
भारत के महान टेनिस खिलाड़ी विजय अमृतराज न्यूज 18 के राइजिंग भारत समिट 2025 के मंच पर
नई दिल्ली. भारतीय टेनिस के महान खिलाड़ी विजय अमृतराज के खेल की एक वक्त दुनिया दीवानी थी. एक ऐसी हस्ती जिसने भारत में इस खेल को नया आयाम दिया. न्यूज 18 के राइजिंग भारत समिट 2025 के मंच पर पहुंचे विजय ने अपने जीवन से जुड़े कुछ खास किस्से दर्शकों को सुनाए. इसमें 1987 के डेविस कप सेमीफाइनल का वो मैच भी शामिल था जब डॉक्टर्स के मना करने के बाद भी विजय देश की खातिर खेलने उतरे थे.
विजय अमृतराज ने भारती टेनिस को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई. विंबलडन और यूएस ओपनर के क्वार्टर फाइनल सिंगल्स में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने, उन्होंने वो कामयाबी हासिल की जो आज भी किसी भारतीय के लिए सपने जैसा है. दो बार डेविड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे विजय ने 1987 के सेमीफाइनल का वो खास किस्स सुनाया जब बीमार होने की वजह से डॉक्टर्स ने उनको खेलने की इजाजत नहीं दी थी.
न्यूज 18 के राइजिंग भारत समिट 2025 के मंच पर विजय ने 1987 का किस्सा सुनाते हुए कहा, भारत का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला चल रहा था. उन्होंने पिछले दो दिन में कई मुकाबले खेले थे और उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. डेविस कप के दौरान उनका वजह अचानक से 11 पाउंड यानी लगभग 5 किलोग्राम तक घट गया था. डॉक्टर्स ने उनको ना खेलने की सलाह दी और कहा उनको कोर्ट में नहीं उतरना चाहिए.
मैं करियर के आखिरी पड़ाव पर था और मेरे सामने वर्ल्ड रैकिंग में 7वें नंबर का 21 साल के खिलाड़ी था. मेरा वजन टूर्नामेंट के दौरान 11 पाउंड कम हो चुका था. पहले दिन 4 घंटा खेला था और दूसरे दिन 5 घंटे मुकाबले में पसीना बहाया था. सामना एक ऐसे खिलाड़ी से था जिसकी उम्र 21 साल थी और मैं करियर के आखिरी पड़ाव पर था. मैंने लगातार मैच खेला था जबकि उसे पूरा आम मिला था.
मैं मैच में पहला और दूसरा सेट हार चुका था तीसरे सेट में भी पीछे चल रहा था. यहां मैंने 10 मिनट का ब्रेक लिया जिसमें डॉक्टर ने मुझे चेक करने के बाद कहा आपको मैच में आगे खेलने की इजाजत नहीं दे सकता. मैंने तभी सोच लिया था यही वो वक्त है कि आप देश के लिए खेलकर महान खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल होंगे या फिर अपनी जान बचाएंगे. मैंने डॉक्टर से कहा आप ऑक्सीजन की टंका मंगवा लें और यह भी पक्का करें की एंबुलेंस तैयार हो. मैं कोर्ट से मैच अधूरा छोड़कर आया तो स्ट्रेचर पर ही आउंगा. मैंने जाकर मुकाबला खेला 5 सेट तक मैच चला इस जीत के दम पर हमारी टीम फाइनल में पहुंची.