भारतीय गैंगस्टर्स और गुंडों के उपनाम बहुत दिलचस्प होते हैं. उनका नाम कुछ और होता है लेकिन उनकी पहचान इन्हीं दिलचस्प निकनेम से होती है. आखिर ये उपनाम उन्हें मिलते कैसे हैं. इसकी भी दिलचस्प कहानी है.
भारतीय गुंडों को उनके उपनाम आमतौर पर उनकी विशेषताओं, व्यवहार, अपराध के तरीके, या उनके इलाके से जुड़ी खासियतों के आधार पर मिलते हैं. यह उपनाम पुलिस, स्थानीय लोग, या खुद अपराधी जगत में उनके साथी ही देते हैं. हम आगे कुछ नामी गैंगस्टर्स और गुंडों के फेमस निकनेम और इसके पीछे की कहानी बताएंगे.
कई गुंडों के उपनाम उनकी शारीरिक बनावट या व्यक्तित्व की वजह से होते हैं. कई बार अपराध करने का उनका खास स्टाइल भी उपनाम का आधार बनता है. मिसाल के तौर पर, कोई चोरी में माहिर है तो उसे “चोरू” या “उस्ताद” कहा जा सकता है या जो हथियारों का इस्तेमाल करता हो, उसे “बंदूकबाज” नाम मिल सकता है. कई बार गुंडों के उपनाम उनके इलाके या शहर से जोड़े जाते हैं.
कुछ उपनाम डर पैदा करने या अपनी धाक जमाने के लिए चुने जाते हैं. जैसे, “कालिया” (काले रंग या खतरनाक छवि के लिए), “शेरू” (शेर की तरह ताकतवर), या “सुल्तान” (शक्ति और नियंत्रण का प्रतीक). ये उपनाम कभी-कभी खुद अपराधी चुनते हैं ताकि उनकी पहचान छिपे या उनकी छवि मजबूत हो, तो कभी समाज या पुलिस उन्हें दे देती है. ये एक तरह से उनकी “ब्रांडिंग” बन जाती है.
कई गुंडों के उपनाम उनकी शारीरिक बनावट या व्यक्तित्व की वजह से होते हैं – प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Meta AI)
दाऊद इब्राहिम – “डॉन”
दाऊद को “डॉन” का उपनाम इसलिए मिला क्योंकि वह मुंबई अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा सरगना बन गया था. यह नाम बॉलीवुड फिल्म “डॉन” से भी प्रेरित हो सकता है, जो उसकी ताकत और असर को दिखाता है. उसकी अपराध की दुनिया में “सुल्तान” जैसी छवि ने इस उपनाम को और पुख्ता किया.
हरनाम सिंह – “हाजी मस्तान”
हाजी मस्तान को यह उपनाम इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने हज यात्रा की थी. “मस्तान” उसे उसके बड़े दिल और बेफिक्र अंदाज को दिखाता था. मुंबई में तस्करी और फिल्म फाइनेंसिंग के जरिए उनकी धाक थी. यह नाम उनकी शख्सियत का प्रतीक बन गया.

ये उपनाम कभी-कभी खुद अपराधी चुनते हैं ताकि उनकी पहचान छिपे या उनकी छवि मजबूत हो – प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Meta AI)
अरुण गवली – “डैडी”
कैअरुण गवली को उनके गुर्गे और स्थानीय लोग “डैडी” कहते थे, जो एक मराठी शब्द “दादा” (बड़ा भाई) से आया. यह उनके इलाके दगड़ी चाल में उनके प्रभाव और पितातुल्य छवि को दिखाता था, जहां वह गरीबों की मदद करता था.
वरदराजन मुदलियार – “वरदा भाई”
दक्षिण भारत के इस गैंगस्टर को “वरदा भाई” कहा जाता था, जो उनके नाम “वरदराजन” का छोटा रूप था. “भाई” शब्द मुंबई अंडरवर्ल्ड में सम्मान और डर का प्रतीक है, और उनकी तस्करी व अपराध की गतिविधियों ने इसे मशहूर किया.
काला जठेरी – “काला”
संदीप उर्फ काला जठेरी, एक हरियाणा का गैंगस्टर, अपने गहरे रंग और खतरनाक स्वभाव के कारण “काला” कहलाया. उसकी आपराधिक गतिविधियां, जैसे हत्या और फिरौती ने इस नाम को और डरावना बना दिया.
छोटा राजन – “छोटा”
राजेंद्र निकालजे को “छोटा राजन” इसलिए कहा गया क्योंकि वह शुरू में दाऊद के बड़े भाई “बड़ा राजन” के अधीन काम करता था. “छोटा” यहां उसके कद या रैंक को नहीं, बल्कि उसकी शुरुआती रोल को दिखाता है. हालांकि बाद में वह खुद एक बड़ा नाम बन गया.
मुन्ना बजरंगी – “मुन्ना”
प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का उपनाम “मुन्ना” उनके बचपन के नाम से आया, जो बाद में उनकी क्रूर छवि के बावजूद बना रहा. “बजरंगी” उनके ताकतवर और धार्मिक (हनुमान भक्त) व्यक्तित्व को दिखाता है. वह जबरदस्त हनुमान भक्त बताया गया.

ये उपनाम कभी-कभी खुद अपराधी चुनते हैं ताकि उनकी पहचान छिपे या उनकी छवि मजबूत हो – प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Meta AI)
दिल्ली में कई मशहूर अपराधियों के उपनाम उनके व्यक्तित्व, अपराध के तरीके, शारीरिक विशेषताओं या उनके इलाके से जुड़े हुए हैं.
जितेंद्र मान उर्फ “गोगी”
जितेंद्र मान, जिसे “गोगी” कहा जाता है. वह दिल्ली का एक कुख्यात गैंगस्टर था. ये उपनाम उसके बचपन के नाम या स्थानीय लोगों द्वारा रखे गए निकनेम से आया. बाद में उनकी अपराध की दुनिया में धाक के साथ जुड़ गया. गोगी अलीपुर इलाके से था. उसकी गैंगवॉर में दुश्मनी (खासकर टिल्लू ताजपुरिया गैंग से) ने उसे कुख्यात बनाया.
सुनील राठी उर्फ “टिल्लू ताजपुरिया”
टिल्लू ताजपुरिया का असली नाम सुनील राठी है. “टिल्लू” उनका बचपन का नाम था, जो दोस्तों और परिवार के बीच आम था. “ताजपुरिया” उनके गांव ताजपुर कलां (दिल्ली) से जुड़ा है, जहां से वह ताल्लुक रखता है. वह गोगी गैंग से दुश्मनी के लिए मशहूर था. तिहाड़ जेल में उसकी हत्या ने उसे और चर्चित किया.
नीरज बवाना उर्फ “बवानिया”
नीरज बवाना का उपनाम “बवानिया” उनके पैतृक गांव बवाना (दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी हिस्से) से लिया गया है. यह नाम उनकी क्षेत्रीय पहचान को दर्शाता है और अपराध की दुनिया में उनके गैंग की धाक को मजबूत करता है. नीरज हत्या, फिरौती और गैंगवॉर के लिए कुख्यात रहा. उसका उपनाम उसके इलाके में उसके प्रभाव का प्रतीक बन गया.
हाशिम बाबा
मोहम्मद हाशिम को “हाशिम बाबा” इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह यमुनापार (पूर्वी दिल्ली) में अपने गुर्गों के लिए एक “बाबा” या बड़ा भाई जैसी शख्सियत था. “बाबा” शब्द सम्मान और डर का मिश्रण है, जो उसके गैंग में उसकी नेतृत्व क्षमता को दिखाता है. वह हत्या और रंगदारी के कई मामलों में शामिल था. उसका नाम सुनते ही इलाके में दहशत फैल जाती थी.
शाहरुख उर्फ “शाहरुख मदनगीर”
दक्षिण दिल्ली के मदनगीर इलाके से ताल्लुक रखने वाले शाहरुख को “मदनगीर” उसके क्षेत्र से जोड़ा गया. उसका असली नाम शाहरुख था, लेकिन इलाके का नाम जुड़ने से उसकी पहचान और साफ हो गई. वह पहले “बच्चा गैंग” और बाद में हाशिम बाबा के साथ जुड़ा. हत्या व रंगदारी के मामलों में उसका नाम उछला. यह उपनाम उसके स्थानीय प्रभाव को बताता है.
संतोषी जैन – “लेडी डॉन”
संतोषी जैन दिल्ली और उत्तर भारत में सक्रिय एक महिला अपराधी थीं, जो 1990 के दशक में चर्चा में आईं. वह अपने पति श्रीप्रकाश शुक्ला (एक कुख्यात गैंगस्टर) के साथ अपराध की दुनिया में शामिल हुईं. बाद में खुद एक गैंग की सरगना बन गईं.
“लेडी डॉन” नाम उन्हें इसलिए मिला क्योंकि वह एक महिला होते हुए भी पुरुष-प्रधान अपराध की दुनिया में अपनी ताकत और क्रूरता के लिए मशहूर हुईं. यह उपनाम बॉलीवुड फिल्म “डॉन” से प्रेरित था. वह हत्या, फिरौती और तस्करी जैसे संगठित अपराधों में शामिल थीं.
“छोटा शकील”
दाऊद के गुर्गे का नाम, जो उसके छोटे कद और शकील खान जैसे नाम से आया.