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धार्मिक मान्यता है कि मां सीता विवाह उपरांत जब अयोध्या आने लगी तो माता सीता अपने साथ अपनी कुलदेवी को लेकर आई थी, जिन्हें अपने महल यानी कि कनक भवन के ईशान कोण पर स्थापित किया था.
छोटी देवकाली मंदिर
हाइलाइट्स
- अयोध्या में माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली का मंदिर है.
- नवरात्रि में छोटी देवकाली मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है.
- दर्शन से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.
अयोध्या: पूरे देश में चैत्र नवरात्रि की धूम है. देवी मंदिरों में माता रानी की पूजा आराधना भक्त बड़े उत्साह के साथ कर रहे हैं. नवरात्रि के नौ दिनों तक माता जगत जननी जगदंबा के सभी स्वरूप की पूजा आराधना की जाती है. आज नवरात्र का पांचवा दिन है और आज के दिन मां स्कंद और कुष्मांडा दोनों के स्वरूप की पूजा हो रही है. एक तिथि के होने के कारण इस बार चौथी और पंचमी तिथि एक साथ है, लेकिन अगर बात करें प्रभु राम की नगरी अयोध्या की तो राम मंदिर के ईशान कोण पर माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली माता विराजमान है जहां की महिमा भी अपरंपार है.
नवरात्र में लगती है भक्तों की भीड़
नवरात्रि के दौरान छोटी देवकाली मंदिर में सुबह से ही जयकारे गूंज रहे हैं. सुबह 4:00 बजे मां सीता की कुलदेवी, छोटी देवकाली मंदिर पर श्रद्धालुओं की आमद शुरू हो जाती है. सुबह की महाआरती के साथ मंदिर का पट आम भक्तों के लिए खोल दिया जाता है, जहां पर सुबह से ही दर्शन पूजन का दौर शुरू हो जाता है.
मां सीता की कुलदेवी हैं छोटी देवकाली
भगवान राम की नगरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, जहां पर मां सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली मंदिर पर दर्शन पूजन करके उनका आशीर्वाद ले रहे हैं. धार्मिक मान्यता भी है कि जब माता सीता का विवाह जनकपुर में हुआ था, तो वहां से मां सीता ने अपने साथ छोटी देवकाली माता को लेकर आई थी और राम मंदिर दशरथ महल तथा कनक भवन की ईशान कोण पर इस मंदिर की स्थापना की थी जिसे छोटी देवकाली नाम दिया गया और आज मां सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली मंदिर में विराजमान हैं, जहां नवरात्र के दौरान लाखों की संख्या में भक्त आकर दर्शन-पूजन करते हैं.
दर्शन से होते हैं सभी मनोरथ पूरे
छोटी देवकाली मंदिर के पुजारी अशोक तिवारी ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि मां सीता विवाह उपरांत जब अयोध्या आने लगी तो माता सीता अपने साथ अपनी कुलदेवी को लेकर आई थीं, जिन्हें अपने महल यानी की कनक भवन के ईशान कोण पर स्थापित किया था. मां सीता की कुलदेवी, छोटी देवकाली मंदिर का दर्शन करने मात्र से ही सभी तरीके के मनोरथ पूर्ण होते हैं.