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Agriculture News: अलीगढ़ के किसान योगराज सिंह ने वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित कर जैविक खाद उत्पादन शुरू किया है, जिससे 20-25 लोगों को रोजगार मिला है. जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और केमिकल खाद से बेहतर …और पढ़ें
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हाइलाइट्स
- अलीगढ़ के किसान योगराज सिंह ने वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित की.
- इससे 20-25 लोगों को रोजगार मिला है.
- जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है.
वसीम अहमद /अलीगढ़. उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ में धीरे-धीरे किसानों का रुझान परंपरागत खेती की ओर बढ़ रहा है. किसान खेतों में जैविक खाद का उपयोग करने लगे हैं. वैसे ही अलीगढ़ के एक किसान योगराज सिंह ने जैविक खाद बनाने के लिए वर्मी कंपोस्ट की यूनिट स्थापित की है. इसके साथ ही वह 20 से 25 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
अलीगढ़ के गांव भवीगढ़ के किसान योगराज सिंह ने बताया कि मैं अलीगढ़ के तहसील अतरौली के गांव भवीगढ़ का रहने वाला हूं. हमने सबसे पहले कामधेनु गौशाला बनाई थी. इसके बाद हमने वर्मी कंपोस्टिंग शुरू की. इस वर्मी कंपोस्ट का 1000 मेट्रिक टन का प्लांट बना है. इसमें 100 फीट के करीब 25 बैड हैं, जिसे कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अलीगढ़ के निर्देशन में तैयार किया है. इसमें हम लोगों द्वारा वर्मी कंपोस्टिंग करते हैं. इस वर्मी कंपोस्ट को हम लोग ‘काला सोना’ भी कह सकते हैं. इसमें हम लोग गाय का गोबर डालते हैं. उसमें केंचुए छोड़ते हैं. जिसका 3 से 4 महीने का प्रोसेस रहता है.
इस प्रोसेस के बाद खाद को पलटने और पानी बराबर मात्रा में दिया जाता है. फिर इसे छलने से फिल्टर करते हैं. एक लंबे प्रोसेस के बाद यह तैयार हो जाती है. यह एक ऐसी खाद होती है, जिसके अंदर 16 तत्व पाए जाते हैं. इस खाद को अगर फसलों में इस्तेमाल किया जाए तो इसका रिजल्ट बहुत अच्छा आता है. दरअसल, यह जीवांश से बना हुआ खाद है. इसको मिट्टी में डालेंगे तो करोड़ों जीवांश आपकी मिट्टी में जाएंगे और इसकी कंडीशनिंग करेंगे. जबकि दूसरे जो केमिकल युक्त खाद होते हैं. वह आपकी मिट्टी को अनफर्टिल यानि बंजर लैंड बनाती है. आप जैविक खाद डालेंगे तो यह सूक्ष्म शक्ति की पूर्ति करेगा और जीवांश बढ़ाएगा.
किसान योगराज सिंह बताते हैं कि शुरू-शुरू में हम इससे ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पाए. लेकिन, जैसे-जैसे लोगों का रुझान जैविक खाद की ओर बढ़ा तो मुनाफा भी बढ़ने लगा. हमारे इस जैविक खाद के प्लांट के जरिए करीब 20 से 25 लोगों को रोजगार मिला हुआ है. किसान योगराज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर कोई किसान जैविक खाद बनाना चाहता है तो वह आसानी से बना सकता है. इसके लिए गोबर,गोमूत्र तथा केंचुए की आवश्यकता होती है. समय-समय पर गोबर खाद को पलटना पड़ता है. वहीं, चार दिन में एक बार पूरी खाद को पलटना पड़ता है. करीब 45 से 90 दिन के समय के प्रोसेस मे यह प्रक्रिया लगभग पूरा हो जाएगी. और जैविक खाद तैयार हो जाती है.